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जीवामिगमस्त्र लसोणी' अष्टापदधीचि पट्टसंस्थित प्रशस्त-विस्तीर्ण पृथुलश्रोणया, वीचिविगत घुणाधक्षत एवं विधो योऽष्टापदपट्टा धूत फलकपट्टः तद्वत् संस्थिता तत्सदृश संस्थानवती प्रशस्ता सुन्दरा विस्तीर्ण पूर्वापरमागविस्तारयुक्ता पृथुला-स्थलाश्रोणिः-कटेरनमामो यास तास्तथा 'वदणायामप्पमाणदुगुणित विसारमंसल मुबद्ध जहणबरधारणीओ' वदनायाममयाण द्विगुणिन विशालमंसल सुवद. जघनवरधारिण्यः, तत्र वदनायामप्रमाणस्य-मुखदैर्य द्वादशाङ्गुलप्रमाणं तस्माद द्विगुणितं द्विगुणं-चतु विशत्यङ्गुलं विशालं घिरतीर्ण मांसलं पुष्टं सुबद्धम् अतीव सुबद्धावयव न तु एतादृशं जघनवरं-वरजघनद्वयं धारयन्ति एवं शीला यास्तास्तथा, 'वज्जविराय पसत्थलवखण गिरोदरातिवलिवलिय तणु णमिय मज्झि गयो' बन्न विराजिन प्रशस्तलक्षण-निरुदरा त्रिवळिचालितनुनमितमध्यिकाः न पिद्दल लोणी' इमकी श्रोणि-कमर के पीछे का भाग धुण आदि से अक्षत जो अष्टापद- धूल फलफ उसके पृष्ठ के आकार जैसी होती है प्रशस्त होती है विस्तीर्ण होती है और लम्बी होती है-तथा-मोटी होती है 'पदणायामप्पमाण दुगुणित विसाल मंसल सुपद्ध जहणवर धारणीओ' बारह अंगुल मुख प्रमाण से द्विगुणित-चौबीस अंगुल प्रमाण हुनका जघन प्रदेश होता है और यह विशाल, मांसल एवं सुबद्ध होता है स्नायुयों से अच्छी तरह जकड़ा हुआ रहता है 'वज विराइय पसत्वलस्वणिरोदरा' ये अल्पोदर वाली याचिकृत उदर से हीन शेती हैं, उनका यह उदर क्षाम होने ले कृश-होने से बज्र की तरह सुशोभित होना है तथा सामुद्रिक शास्त्रोक्त प्रशस्त लक्षणों से युक्त होता है 'लिवलो बलियतणुणमिय मज्झितो उजुप सम सहित डाय छे. 'अट्टावयवीची पट्ट सठिय पनत्थ वित्थिन्न पिहुलसेणी' तयानी श्रेणी એલેકે કેડની પાછળ ધુ વિગેરેના ક્ષત વિનાની જે અષ્ટાપદ ઘન ફલકના પૃષ્ઠના આકાર જેવી હોય છે. પ્રશસ્ત હોય છે. વિસ્તીર્ણ હેય છે અને समी हाय छे तथा भाटी डाय छे. 'वद गायामप्पमाणदुगुणित विसाल मसल सुबद्ध महणवर धारणीओ' मा२ मin भुप प्रमाणुथी नभए। २.वीस આગળ પ્રમાણને તેઓને જઘન પ્રદેશ હોય છે. તે સ્નાયુઓથી સારી રીતે ४४.2 २९ छे. 'वज्जविराइयप सत्थ लक्खणणिरोदरा' त म વાળી અને વિકૃત ઉદરથી રહિત હોય છે તેઓનું આ ઉદર ક્ષામ હોવાથી કૃશ હોવાથી વજીની જેમ સુશોભિત હોય છે, તથા સામુદ્રિક शात प्रशस्तरक्षाथी युति य छे. तिवलिबलियतणुण मगमझियातोज उज्जुयसमसहित जच्च तणुकसिणणिद्ध आदेजलउड् सुविभत्त सुजाय