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प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ उ.३ सू.३५ तिर्यग्योनिस्वरूपनिरूपणम् ३८३ ज्जत्तसुहुमपुढीकाइय एगिदियतिरिक्ख जोणिया' अपर्याप्त सक्षमपृथिवीकायिकैकेन्द्रियनियंग्योनिकाः, तथा च पर्याप्तापर्याप्त भेदेन सूक्ष्म पृथिवीकारिकै केन्द्रियतिर्यग्योनिका द्विविधा अवन्तीति । 'से तं सुहुमपुढवीकाइय एगिदितिरिक्खजोणिया से एते सूक्ष्मपृथिवीमारि कैकेन्दिर तिर्यग्योनिकाः सभेदं निरूपिता इति । सक्षमपृथिवीकायिकैकान् निरूप्य वादरपृथिवीकायिकान् लिरूपयितुं प्रनयन्नाह'से मित' इत्यादि से किं तं बादरपुढवीकाइय एगिदिय तिरिक्वजोणिया' अथ के ते बादरपृथिवीसायिकैकेन्द्रिगतियंग्योलिकाः, बादरपृथिवीकारिककेन्द्रियतियंग्यों निकानां कियन्तो भेदा इति मन:, उत्तरयति-'वायर पुढवीकाइय एगिदिय तिरिक्वजाणिया दुनिहा पन्नत्ता' वादरपृथिवीकारिक केन्द्रियतिरंग्यौनिकाः द्विविधाः -द्विमकारकाः प्रज्ञप्ता-कथिता इति । 'तं जहा' तद्यथा-'उजत्त वायर पुढवी. काइय एगिदिय तिरिक्खजोणिया' पर्याप्तवादर पृथिविकारि केन्द्रियतिर्यग्योनिकाः, तथा 'अपज्जत्त बायर पुवीकाइय एगिदिय तिक्खिजोणिया' अपर्याप्त प्रकार से सूक्ष्य पृधिवी झाधिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक जीवों के सम्बन्ध में सूत्रकार ने कथन किया है। ___ अब वादर पृथिवी कायिकों का क्षथल करते है-इसमें गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है-'ले स्तिं शायर पुढवीक्षाध्य एगिदिय तिरिक्खजोणिया' हे भदन्न ! चादर पृथिवीकायिक एजेन्द्रिय जीव शिनने प्रकार के हैं ? उत्तर में प्रभु कहते हैं-'बायर पुढवी साहय एगिदियनिरिक्खजोगिया दुधिहा पन्नत्ता 'हे गौतम ! बादर पृथिवी क्षायिक एकेन्द्रिय तिर्थ योनिक जीव भी दो प्रकार के कहे गये हैं-'तं जहां-जैसे-'पजत्तवायर पुढवी काइय एगिदिय तिरिक्वजोणिया' पापिन बादर पृथिवीकायिक एकेसूक्ष्म पृथ्वी यि मेद्रियाणा तिय योनि मने 'अपज्जत सुहम। अपर्याप्त सूक्ष्म यि मेद्रियाणा तियेनि 'से त सुहम' આ પ્રમાણે સૂક્ષ્મ પૃથ્વીકાયિક એક ઈદ્રિયવાળા તિર્યનિક જીના સંબંધમાં સૂત્રકારે કથન કર્યું છે.
હવે બાદર પ્રકાયિકોનું કથન કરવામાં આવે છે. આમાં શ્રીગૌતમ स्वाभीये असुश्रीन से ५७यु से वित्त वायरपुढवीकाइय एगि दिय तिरिक्सजोणिया' माह२ .१४ थि: छद्रियवाणा & 2 मारना छ ? । प्रशना उत्तरमा प्रसुश्री छे, 'वायर पुढवीकाइय एगि दिय तिरिक्वजोणिया दुविहा पन्नत्ता' हे गौतम ! १२ पृथ्वीजयि मेद्रियाणा तिय योनि ! मे रना सेवामा मा०या है. 'तजहा' ते मे अक्षरे भा प्रभारी छे. 'पज्जत वामर पुढवीकाइय एगि दियतिरिक्खजोणिया' पास