________________
प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ उ.३ झू.२६ पक्षीणां लेश्यादिनिरूपणम् १३ 'जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं पुनकोडी' सुजपरिसणां स्थितिर्जघन्येनान्तर्मुहर्त्तम् उत्कर्षण पूर्व कोटिममाणा भवतीति । उद्वर्तना-'उहित्ता दोच्चं पुढविं गच्छति,' उद्धृत्य भुजपरिसर्षात् निर्गत्य द्वितीयां शर्करानमा पृथिवीं गच्छन्ति उपरि यावत् सहस्रारकल्पं गच्छन्तीति । 'णवजाइकुलकाडी जोणीपमुहसयसहस्सा भवंतीति मक्खायं तेषां भुजपरिसाणां नवजातिकुल कोटियोनिममुखशतसहस्राणि भवन्ति, इत्येव माख्यातम् 'सेसे वहेब' शेषं नवमित्यादिना यत्कथितं तदतिरिक्त लेश्यादि द्वारजातं तथैव-पक्षिवदेव भुजपरिमाणामपि ज्ञतव्योमात । ___ 'उरपरिसप्पथलयरपंचिदिय तिरिक्खजोणियाणं सते! पुच्छा' उरः परिसर्पस्थलचरपञ्चेन्द्रियतियंग्यौनिकानां खल्ल भदन्त ! कतिविधो योनिसंग्रहः यज्ञप्तः ? कहा गया है वैसा ही वह समय यहां पर भी कहलेना चाहिये णाणत्त' केवल स्थिति में च्यवल उद्वर्तना में और कुल कोटि में-इन द्वारों में भिन्नता है सो अब स्लत्रकार इसी बात को प्रकट करते हैं-'जहन्नेणं अंतोमुटुत्तं उक्कोसेणं पुन्यकोडी' सुजपरिवर्प लियंग्योनिकों की स्थिति जघ.
तो अन्त हत्ते की है और उत्कृष्ट पूर्वकोटि की है, 'उत्पट्टित्ता दोच्च पुढवि गच्छति' सुजपरिहार्प की पर्याय ले च्युत होकर ये नीचे को सीधे द्वितीय शर्करा पृथिवा तक जाते हैं । और ऊपर में सहस्रार देवलोक तक जाते है ‘णवजातिकुल भोडोजाणीपचुह सयलहस्सा भवंतीतिसमक्खाया' इन भुज परिसपों की कुल कोटिया नौ ९ लाख होती है। 'सेसं तहेव बाकी का और लब बेश्यादि चारों का कथन पुन मुजपरिसों के सम्बन्ध का पक्षियों के कथन के जैसा ही है। 'उपरिसप्पथलयरपंपिदिय तिरिक्खजोणिया में अंते ! पुच्छा' हे भदन्त !
मडिया पर सभ७ . 'णाणत्तं' १ स्थिति:२, २यवना२, तना દ્વાર, અને કુલટિ દ્વારમાં ભિનપણુ આવે છે. જેથી હવે સૂત્રકાર એ જ पात प्रगट ४२ छे. 'जहण्णेणं अतोमुत्त उक्कोलेणं पुव्वकोडी' सुपरिस તિર્યનિકેની સ્થિતિ જઘન્યથીતે અંતર્મુહૂર્તની છે, અને ઉત્કૃષ્ટથી પૂર્વ छोटीनी छे. 'उव्वट्टित्ता देोच्च पुढवि गच्छति' सु०४५६२सपनी पर्यायथा क्यवान તેઓ સીધા નીચેની બીજી શરામભા પૃથ્વી સુધી જાય છે. અને ઉપરમાં सहसा२ TRat सुधीय छे. 'णव जातिकुल काडी जेणी पमुइसय सहस्सा भवतीतिमक्खाया' मा मु४ परिजनी gaile न ८ ५ डाय छे. 'सेस' तहेव' मीना देश्या बा२ विगेरे सादा सधनु ४थन मा भुर परिसाना सधना ४थन प्रमाणे ४ छे. 'उरपरिसप्पथलयर पचि