Book Title: Hriday Nayan Nihale Jagdhani Part 01
Author(s): Anandghan, Muktidarshanvijay
Publisher: Matunga Shwetambar Murtipujak Tapagaccha Jain Sangh
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मधु-बिन्दु के समान है काम-भोग
काम-भोग (इन्द्रिय सम्बन्धी विषय-सुख) भोगने के समय तो सुखकारी लगते हैं, परन्तु उनके अनुराग (मोह) में आसक्त होने वाला जीव अन्त में दुःख, क्लेश और पीड़ा को प्राप्त करता है।
काम-भोगों की असारता तथा क्षणभर के सुख के बदले दीर्घकालीन दुःखों की परम्परा बताने के लिए आचार्यों ने मधु-बिन्दु का दृष्टान्त दिया है।
उपनय : यह संसार ही वृक्षरूप मानव जीवन है। इसमें काल (मौत) रूपी हाथी है। काला चूहा रात, सफेद चूहा दिन का प्रतीक है। जो जीवन की डाली को हर क्षण काटे जा रहे हैं। कूआ नरक आदि दुर्गति है और मधु बिन्दु के समान संसार के क्षणिक विषय-सुख हैं। विद्याधर के समान सद्गुरु हैं, जो उसे दुःखों से बचाने के लिए धर्म रूपी विमान लेकर खड़े हैं। परन्तु मोह-मूढ जीव (युवक) संसार के सुखों का स्वाद नहीं छोड़ रहा है। सद्गुरु की चेतावनी भी उसे बचा नहीं सकती।
साभार : सुशील सद्वोध शतक