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श्रावक जीवन-दर्शन/४७
८ भम्भा, ६ होरम्भा, १० भेरी, ११ झल्लरी, १२ दुन्दुभि, १३ मुरज, १४ मृदंग, १५ नांदीमृङ्ग, १६ आलिङ्ग, १७ कुस्तुम्ब, १८ गोमुख, १६ मर्दल, २० विपञ्ची, २१ वल्लकी, २२ भ्रामरी २३ षड्भ्रामरी, २४ परिवादिनी, २५ बब्बीसा, २६ सुघोषा २७ नन्दिघोषा, २८ महती, २६ कच्छपी, ३० चित्रवीणा, ३१ आमोट, ३२ झंझा, ३३ नकुल, ३४ तूणी, ३५ तुम्बवीणा, ३६ मुकुन्द, ३७ हुडुक्का, ३८ चिच्चिकी, ३६ करटी, ४० डिडिम, ४१ किणित, ४२ कडम्बा, ४३ दर्दरक, ४४ दर्दरिका, ४५ कुस्तुम्बर, ४६ कलशिका, ४७ तल,. ४८ ताल, ४६ कांस्यताल, ५० रिगिसिका, ५१ मकरिका, ५२ शिशुमारिका, ५३ वंश, ५४ वाली, ५५ वेणु, ५६ परिली ५७ बन्धूक आदि; प्रमुख विविध वाद्यवादक भी प्रत्येक १०८-१०८ थे।
देवकुमार और देवकुमारियाँ साथ-साथ गा रहे थे और नाच रहे थे। बत्तीस प्रकार के नाटकों के नाम ये हैं--
(१) स्वस्तिक, श्रीवत्स, नन्द्यावर्त, वर्द्धमानक, भद्रासन, कलश, मत्स्य और दर्पण रूप अष्ट मंगल के आकार की तरह होकर नाटक करना।
- (२) आवर्त्त, प्रत्यावर्त्त, श्रेणि, प्रश्रेणि, स्वस्तिक, पुष्यमान, वर्द्धमान, मत्स्याण्डक, मकराण्डक, जारमार, पुष्पावलि, पद्मपत्र, सागरतरंग, वासन्तीलता, पद्मलता, इनके आकार की तरह होकर नाटक करना।
(३) ईहामृग, ऋषभ, तुरग, नर, मकर, विहग, व्याल, किन्नर, रुरु, शरभ, चमर, कुंजर, वनलता, पद्मलता के आकार की तरह होकर नाटक करना।
(४) एक ओर चक्र, एक ओर तलवार, एक तरफ चक्रवाल, द्विधा चक्रवाल और चक्राद्ध चक्रवाल के आकार की तरह होकर नाटक करना।
(५) चन्द्रवलयावलि, सूर्यवलयावलि, तारावलि, हंसावलि, एकावलि, मुक्तावलि, कनकावलि, रत्नावलि, अभिनयात्मक प्रावलि आदि के आकार की तरह होकर नाटक करना ।
(६) चन्द्रोदय व सूर्योदय के आकार की तरह होकर नाटक करना। (७) चन्द्र-सूर्य के आगमन के आकार की तरह होकर नाटक करना। (८) चन्द्र-सूर्य के अवतरण के आकार की तरह होकर नाटक करना। (९) चन्द्र-सूर्यास्त के आकार की तरह होकर नाटक करना।
(१०) चन्द्र, सूर्य, नाग, यक्ष, भूत, राक्षस, महोरग, गन्धर्वमण्डल के आकार की तरह होकर नाटक करना। -
(११) ऋषभ, सिंह, ललित, अश्व तथा हाथी के विलसित तथा मदोन्मत्त घोड़े-हाथी के विलम्बित अभिनय रूप द्रुतविलम्बित ।
(१२) सागर-नागद के आकार की तरह होकर नाटक करना। (१३) नन्दा चम्पा के प्राकार की तरह होकर नाटक करना।