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श्राद्धविधि/२०४
उसके नाम से वह नगर भी एड़काक्ष नाम से प्रसिद्ध हो गया। उसे देखकर बहुत से पुरुष श्रावक बने।
इस प्रकार दिवसचरिम में एड़काक्ष का यह दृष्टान्त है।
संध्या समय दो घड़ी दिन बाकी रहने पर, सूर्य का बिम्ब आधा अस्त होने के पूर्व पुनः तीसरी बार यथाविधि जिनपूजा करें।