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श्रावक जीवन-दर्शन/२६१
जिनमन्दिर के निर्माण में भावों की शुद्धि के लिए गुरु व संघ के समक्ष इस प्रकार बोलना चाहिए-“यहाँ प्रविधि से किसी अन्य का धन आ गया हो तो वह पुण्य उसे हो।" षोडशक में कहा है
____ "जिसकी मालिकी का धन अनुचित रीति से इस काम में लगा हो तो वह पुण्य उसके स्वामी को हो"-इस प्रकार शुभ प्राशय से करने से वह कार्य भावशुद्ध होता है।
शंका-नींव खोदना, नींव भरना, लकड़ी लाना, चीरना, पत्थर घड़ना, चयन प्रादि कार्य मन्दिर-निर्माण में होने से महाप्रारम्भ का दोष नहीं है ?
समाषान-यतनापूर्वक प्रवृत्ति होने से मन्दिर निर्माण में महारम्भ का दोष नहीं है। जिनमन्दिर-निर्माण में अनेक प्रतिमाओं की स्थापना, पूजन, संघ-समागम, धर्मदेशना, सम्यक्त्व व व्रत स्वीकार, शासन-प्रभावना, अनुमोदना आदि अनन्त पुण्यबन्ध में हेतुभूत होने से शुभफलदायी है। कहा है-"सूत्रोक्त विधिज्ञाता व्यक्ति को यतनापूर्वक प्रवृत्ति करते हुए कभी विराधना भी हो जाय तो भी अध्यवसाय की विशुद्धि से युक्त होने के कारण निर्जरा-लाभ ही होता है।" द्रव्यस्तव में कूप दृष्टान्त आदि पहले कहे जा चुके हैं ।
+ मन्दिर जीर्णोद्धार जिनमन्दिर के जीर्णोद्धार में विशेष प्रयत्न करना चाहिए। कहा है-"नवीन जिनगृह के निर्माण में जितना फल होता है, उससे आठ गुणा पुण्य जीर्णोद्धार से होता है।"
"जीर्ण मन्दिर के समुद्धार में जितना पुण्य है, उतना नवीन के निर्माण में नहीं है। नवीन मन्दिर में अधिक विराधना तथा 'मेरा मन्दिर' इस प्रकार की प्रसिद्धि की बुद्धि भी होती है। कहा है-"जिनकल्पी साधु भी राजा, मंत्री, सेठ तथा कौटुम्बिक को उपदेश देकर जीर्णमन्दिर का उद्धार कराते हैं।"
जो मनुष्य भक्तिपूर्वक जीर्ण मन्दिर का उद्धार करते हैं वे इस भयंकर भवसागर से अपनी आत्मा का उद्धार करते हैं।
* दृष्टान्त * ___ वाग्भट्ट मंत्री के पिता ने शत्रुजय महातीर्थ के जीर्णोद्धार का निश्चय किया था। तदनुसार वाग्भट्ट ने शत्र जय के उद्धार का काम चालू कराया। उस जीर्णोद्धार में अनेक श्रेष्ठी अपना द्रव्य (धन) लिखाने लगे तब टीमाणा गाँव के भीम ने अपना घी बेचकर भी अपनी सर्वस्व छह द्रम्म की सम्पत्ति दान में दे दी थी। अतः वाग्भट्र मंत्री ने उसका नाम सबसे ऊपर रखा। उस दान के फल से उसे हुए स्वर्ण की निधि के लाभ का प्रसंग प्रसिद्ध ही है।
काष्ठ के चैत्य के बदले पाषाण का चैत्य दो वर्ष में तैयार हो गया। मन्दिर की पूर्णाहुति की बधाई देने वाले को मंत्री ने सोने की बत्तीस जीभ दी। कुछ समय बाद वह मंदिर बिजली गिरने से फट गया। ये समाचार देने वाले को मंत्री ने "अहो ! जीते हुए मुझे दूसरी बार जीर्णो