Book Title: Shravak Jivan Darshan
Author(s): Ratnasensuri
Publisher: Mehta Rikhabdas Amichandji

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Page 380
________________ श्रावक जीवन-दर्शन/३६३ वहां से च्यवकर महाविदेह में जन्म लेकर परिहन्त धर्म की अच्छी तरह से माराधना कर शीघ्र मोक्षलक्ष्मी प्राप्त करेगा। रत्नसार के चरित्र को बराबर अवधारण कर पात्रदान के विषय में तथा परिग्रहपरिमाण के विषय में प्रयत्न करना चाहिए।

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