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* छठा प्रकाश *
वर्षकृत्य कहने के बाद अब जन्मकृत्य कहते हैं
निवास-स्थानः-जन्मकृत्य में सर्वप्रथम समुचित निवास-स्थान ग्रहण करना चाहिए। जिस स्थान में धर्म, अर्थ और काम रूप त्रिवर्ग की सिद्धि होती हो वहीं पर श्रावक को रहना चाहिए। अयोग्य स्थान पर रहने से दोनों भवों का नाश होता है। कहा है-भील लोकों की बस्ती में, चोरों की पल्ली में, पर्वतीय लोगों की बस्ती में तथा हिंसक व दष्ट लोकों को प्राश्रय देने वाले पापी लोगों क पास नहीं रहना चाहिए क्योंकि कुसंगति साधुजनों के लिए निन्दनीय है।
श्रावक को उसी स्थान में रहना चाहिए जहाँ साधुनों का आगमन होता हो। जहाँ पास में जिनमन्दिर हो और श्रावक रहते हों। जहाँ बुद्धिमान् लोग रहते हों, जहाँ के लोग जीवन से भी शील को अधिक मानते हों, जहां की प्रजा नित्य धर्मशील हो, वहीं पर रहना चाहिए, क्योंकि सज्जनों की संगति विभूति (लाभ) के लिए होती है। “जिस नगर में जिनभवन हो, जहाँ शास्त्रज्ञ साधुश्रावक रहते हों, जहाँ प्रचुर जल व इंधन हो, वहीं पर सदा रहना चाहिए।"
अजमेर के पास हर्षपुर नगर तीन सौ जिनमन्दिरों तथा सुश्रावक आदि से अलंकृत था तथा उसमें धर्मिष्ठ, सुशील और बुद्धिमान् लोग रहते थे। उस सुन्दर स्थान में रहने वाले अठारह हजार ब्राह्मण तथा उनके भक्त छत्तीस सेठ श्री प्रियग्रंथ सूरिजी के आगमन से प्रतिबुद्ध हुए।
अच्छे स्थान में रहने से तथा धनी, गुणवान् और धर्मिष्ठ व्यक्तियों की संगति से धन, विवेक, विनय, विचार, आचार, उदारता, गम्भीरता, धैर्य तथा प्रतिष्ठा (इज्जत) आदि गुण प्राप्त होते हैं एवं समस्त धर्मकार्यों में कुशलता प्राप्त होती है। यह बात वर्तमान में भी प्रतीत होती है। अतः नीच गाँवों में धनार्जन आदि से सुखपूर्वक निर्वाह होता हो तो भी नहीं रहना चाहिए। कहा है"जहाँ पर जिनेश्वर देव, जिनमन्दिर व संघ का मुखदर्शन नहीं होता हो तथा जहाँ जिन-वाणी का श्रवण नहीं होता हो वहाँ धन की प्राप्ति होती हो तो भी क्या ?" “यदि मूर्खता चाहते हो तो गाँव में तीन दिन रहो। जहाँ नवीन ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती है और पहले पढ़ा हुआ भी नष्ट हो जाता है।"
सुना जाता है कि कोई नगरनिबासी, धनलाभ के लिए अत्यल्प वणिक के गाँव में रहा । कृषि तथा विविध व्यापार आदि के द्वारा उसने कुछ धन कमाया, अचानक उसकी घास की झोपड़ी आग लग जाने से नष्ट हो गयी। इस प्रकार पुनःपुनः धनार्जन करने पर भी चोरी, मारी, दुर्भिक्ष, राज-दण्ड आदि से उसका धन नष्ट हो गया। एक बार उस गाँव के चोरों ने किसी नगर को लूटा, इससे कुपित होकर उस नगर के राजा ने उस गाँव को ही खत्म कर दिया। सेठ व उसके पुत्र आदि पकड़े गये तब उन सभटों के साथ लडता हा वह सेठ भो मारा गया। खराब गाँव में रहने पर क्या परिणाम आता है, उसका यह दृष्टान्त है । ।