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श्राद्धविधि / ६२
४. पुष्पमालापूजा ५. विविध वर्गों के पुष्पों से अंगरचनापूजा ६. चूर्णपूजा ७. अलंकारपूजा ८. पुष्पगृहपूजा ६. फूलप्रकर पूजा १०. आरति मंगलदीप पूजा ११. दीपकपूजा १२. धूपपूजा १३. नैवेद्यपूजा १४. फलपूजा १५. गीतपूजा १६. नृत्यपूजा १७. वाद्यपूजा ।
पूजाप्रकरण में वाचक उमास्वाति ने इक्कीस प्रकार की पूजा की विधि इस प्रकार बतलाई है
(१) स्नान पूर्वदिशा सन्मुख, दातुन पश्चिमदिशा सन्मुख, श्वेत वस्त्र परिधान उत्तरदिशा सन्मुख और प्रभु की पूजा पूर्व या उत्तर दिशा सन्मुख रहकर करनी चाहिए ।
(२) घर में प्रवेश करते समय बायें हाथ की ओर १ हाथ ऊँची शल्यरहित भूमि पर गृहमन्दिर बनाना चाहिए । स्वगृह से निम्न (नीचे) भूमि पर जिनमन्दिर बनाने से वंश की हानि होती है और पुत्र-पौत्रादि की परम्परा भी बिगड़ती है ।
पूजा करने वाले (पूजक) को पूर्व या उत्तरदिशा सन्मुख खड़े रहकर पूजा करनी चाहिए । दक्षिण दिशा का और विशेषकर विदिशाओं का तो सर्वथा त्याग करना चाहिए ।
पश्चिम दिशा सन्मुख खड़े रहकर पूजा करने से पूजक की चौथी सन्तति (वंश) का उच्छेद होता है । दक्षिण दिशा की तरफ खड़े रहकर पूजा करने वाले को सन्तति नहीं होती है ।
foot में रहकर पूजा करने से दिन-दिन धन की हानि होती है ।
वायव्यकोण में रहकर पूजा करने से सन्तान ही नहीं होती है ।
नैऋत्यकोण में रहकर पूजा करने से कुल का क्षय होता है ।
ईशान कोण में रहकर पूजा करने से पूजक की एक स्थान में स्थिरता नहीं रहती है ।
दो पैर, दो जानु, दो हाथ, दो स्कन्ध, मस्तक, भाल, कण्ठ, हृदय तथा उदर पर यथाक्रम से पूजा यानी तिलक करने चाहिए । चन्दन के बिना कभी भी पूजा नहीं करनी चाहिए । तथा प्रतिदिन नौ तिलक (नौ अंगों पर ) द्वारा पूजा करनी चाहिए ।
बुद्धिमान व्यक्ति को प्रातः काल में वासपूजा ( वासक्षेप पूजा), मध्याह्न में पुष्प पूजा और संध्या समय में धूप-दीप पूजा करनी चाहिए ।
जलपात्र सन्मुख रखना चाहिए तथा प्रभु के
भगवन्त के बायीं ओर धूप करनी चाहिए दायीं ओर दीपक रखना चाहिए ।
चैत्यवन्दन तथा ध्यान प्रभु के दायीं ओर बैठकर करना चाहिए ।
हाथ से गिरा हुआ, भूमि पर पड़ा हुआ पैर से लगा हुआ, अपने मस्तक पर लाया हुआ, मलिन वस्त्र से लिपटा हुआ, नाभि के नीचे ले जाया गया, दुष्ट पुरुषों के स्पर्श वाला, बरसात से बिगड़ा हुआ, कीड़े आदि से खाया हुआ, फूल, पत्र या फल भक्तों को प्रभु को नहीं चढ़ाना चाहिए। इस प्रकार ऐसे पुष्पादि के वर्जन से जिनभक्ति होती है ।