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श्राद्धविधि/१५४
किसी की न्यास आने पर सेठ भी अपने देवता की स्तुति करता है कि "न्यास का मालिक शीघ्र मर गया तो मैं आपको याचित वस्तु शीघ्र दे दूंगा।" ग्रन्थकार ने भी कहा है- "अर्थ वास्तव में अनर्थकारी ही है, परन्तु अग्नि की तरह उसके बिना भी गृहस्थों का जीवन निर्वाह शक्य नहीं है, अतः धन का भी युक्तिपूर्वक रक्षण करें।"
ॐ धनेश्वरसेठ का दृष्टान्त के धनेश्वर सेठ ने अपने घर की समस्त सारभूत वस्तुओं को इकट्ठा कर, उन्हें बेचकर एक-एक करोड़ सोना मोहर के मूल्य वाले आठ रत्न खरीद लिये और अपनी पत्नी व पुत्र आदि से भी छिपाकर उन्हें अपने मित्र के घर न्यास के रूप में रख दिये और स्वयं धनार्जन के लिए विदेश चला गया। काफी समय बीत गया। एक बार अचानक दुर्भाग्य से बीमारी आ जाने के कारण वह मरणासन्न अवस्था में आ पड़ा। कहा है-“मचकुन्द के समान निर्मल हृदय से हर्षित होकर मनुष्य कुछ और ही सोचता है और परिणाम कुछ दूसरा ही आता है। सचमुच, कार्यारम्भ विधि (भाग्य) के अधीन है।"
__उस समय निकटस्थ स्वजनों के द्वारा सेठ को धन आदि के बारे में पूछने पर सेठ ने कहा"विदेश में अजित मेरा बहुत सा धन इधर-उधर रहा हुआ है, उसे प्राप्त करना तो पुत्रों के लिए कठिन है, परन्तु मित्र के वहाँ मेरे पाठ रत्न न्यास के रूप में रखे गये हैं, वे मेरी पत्नी व पुत्रों को दे देना"इतना कहकर वह सेठ मर गया ।
स्वजनों ने जाकर सेठ के पुत्रों को सब बात कह दी।
सेठ के पुत्रों द्वारा विनय, स्नेह और बहुमान से तथा पीड़ा, भय आदि से रत्नों की मांग करने पर भी धनलुब्ध उस मित्र ने वे रत्न वापस नहीं दिये । न्यायालय में इस मामले को ले जाने पर भी साक्षी और लिखित के अभाव के कारण राजा और मन्त्री आदि भी उस मित्र के पास से रत्न नहीं दिला सके।
* साक्षी से लाभ * किसी को धन देते समय जैसे-तैसे की भी साक्षी रखने से, चोर आदि के द्वारा वह धन चुराने पर भी वापस प्राप्त हो सकता है।
* दृष्टान्त * एक धूर्त किन्तु समृद्ध वणिक् किसी मार्ग से जा रहा था। मार्ग में उसे चोर मिले। चोरों ने उसे जहार (प्रणाम) कर उससे धन मांगा। उसने कहा-"साक्षी देकर सब धन ले जायो। अवसर आने पर लौटा देना परन्तु मुझे मारना मत।"
उन चोरों ने सोचा-"यह भोला लगता है"- इस प्रकार विचार कर रंग-बिरंगे बिलाड़े को साक्षी करके उन चोरों ने वह धन ले लिया। उस वणिक् ने उस स्थान को बराबर पहिचान लिया और वह अपने गांव आ गया।
कुछ समय के बाद उन चोरों के गाँव के कुछ लोग उन चोरों के साथ बहुत-सी वस्तुएँ लेकर