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मुहूर्तराज ]
[३३ मीनादि युग्मराशियों के द्विादश का शुभफल--
आयुष्यसम्पत् सुतभोगसम्पत् पुत्रार्थसम्पत् पतिसौख्यसम्पत् ।
सौभाग्यसम्पत् धनधान्यसम्पत् झषादियुग्मे क्रमतः फलानि ॥ मेषादियुग्मराशियों के द्विादश का अशुभफल
अजादियुग्मे क्रमतः फलानि वैधव्यमृत्युर्वधबन्धनानि ।
वियोग सन्तापमतीवदुःखं वसिष्ठगर्गप्रमुखैः स्मृतानि ॥ द्विादश में शुभाशुभयुग्म तथा उनके फल को जानने के लिए उपर्युक्त तीनों श्लोकों का आशय निम्न सारणी में देखिए
-द्विादश शुभाशुभ युग्म एवं तत्फल ज्ञापक सारणी
फल
| क्र.सं. द्विादश के शुभ युग्म →
मीन – मेष वृष – मिथुन कर्क - सिंह कन्या - तुला वृश्चिक – धनु मकर - कुंभ
आयुष्यकारक सुत सुख कारक पुत्र एवं सुख कारक पति सुखकारक सौभाग्य कारक धन्य धान्य कारक
फल |– द्विादश के अशुभ युग्म | वैधव्यदायी मेष - वृष (१) मृत्युदायी मिथुन - कर्क (२) वधकारक सिंह - कन्या (३) बन्धनदायी तुला - वृश्चिक (४) वियोगज दु:ख धन - मकर (५) अत्यन्त दुःख कुंभ - मीन (६)
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विषय - भोग विषय - भोग कर्मबन्ध के हेतु और विविध यातनाओं की प्राप्ति कराने के कारण हैं। विषयार्थी प्राणी प्रतिदिन मेरी माता, पिता, पुत्र, प्रपौत्र, भाई, मित्र, स्वजन, सम्बन्धी, जायदाद, वस्त्रालंकार और खान-पान आदि सांसारिक सामग्री की खोज में ही अपना अमूल्य जीवन यों ही बिताते रहते हैं और सब को छोड़ कर केवल पाप का बोझा उठाते हुए मरण के शिकार बन जाते हैं, पर अपना कल्याण कुछ नहीं कर सकते ।
-श्री राजेन्द्रसूरि
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