________________
३६]
[ मुहूर्तराज ॥ अवर्गादि एवं शत्रुवर्ग तथा उदासीन वर्ग एवं फल बोधक सारणी ॥
क्र.सं.
वर्गाक्षर
वर्ग नाम | शत्रवर्ग
फल
उदासीन वर्ग
फल
सर्प
or
गरूड़ माजरि
शुभ शुभ
n
मूषक
सिंह
m
मृग
मेष
x
अ - अ: तक स्वर क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ब ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, स, ह
श्वान सर्प
अशुभ अशुभ अशुभ अशुभ अशुभ अशुभ अशुभ अशुभ
अन्य सात अन्य सात अन्य सात अन्य सात अन्य सात अन्य सात अन्य सात अन्य सात
शुभ शुभ
5
गरूड़ माजरि
w
मूषक
शुभ
सिंह
2
शुभ
v
मेष
श्वान
A
नक्षत्रों की स्त्रीपुरुषादि संज्ञाएँ – नारचन्द्रे
दशााद्याः स्त्रियः तारा विशाखात्रिनपुंसकाः ।
मूलाधा दश माश्च भरणीवेदतापसाः ॥ इस श्लोक का अर्थ सारणी में समझिए
__-स्त्री-पुरुषादि संज्ञक नक्षत्र बोधक सारणी
नक्षत्र नाम
संज्ञाएँ स्त्री संज्ञक १०
नपुंसक संज्ञक ३
आर्दा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाती
विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा शतभिषा, पू. भाद्र, उत्तरा भाद्र, रेवती, अश्विनी
भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा
पुरुष संज्ञक १०
तापस संज्ञक ४
॥इति नक्षत्र-विचारः॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org