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मुहूर्तराज ]
[३७१ प्रकारान्तरेण गर्भिणी के पुत्र-पुत्री सम्बन्धी प्रश्न-(बृहज्ज्यौतिषसार से)
नखैर्युतं गर्भिणीनामधेयं तिथि प्रयुक्तं रससंयुतं च ।
एकेन हीनं नवभिर्विभक्तं, समे कुमारी विषमे कुमारः ॥ गर्भिणी के नाम की अक्षर संख्या + २० + ६ + तिथिसंख्या करने पर जो योगफल आवे उसमें से १ घटाकर नौ का भाग देने पर शेष समसंख्या रहे तो कुमारी (लड़की) का जन्म और विषम रहे तो कुमार (लड़के) का जन्म होगा।
तथा च
तिथिवारं च नक्षत्रं नामाक्षर समन्वितम् । मुनिभक्ते समे शेषे कन्या च विषभे सुतः ॥
गर्भिणी पुत्र या पुत्री को जन्म देगी ? ऐसा प्रश्न करने पर उस दिन की तिथि संख्या, वार संख्या, नक्षत्र संख्या, गर्भवती नामाक्षर संख्या इन चारों का योग करके आगत योग में ७ का भाग दें। यदि शेष समसंख्या रहे तो गर्भवती पुत्री को और विषम संख्या रहे तो पुत्र को जन्म देगी। यह फल कहना चाहिए। __ विशेष- तिथि संख्या जानने के लिए शुक्ला प्रतिपदा से गणना करनी चाहिए और वार संख्या में रवि से।
पुरुष अथवा स्त्री की जन्मकुण्डली की पहिचान
रवि राहु कुजाङ्कानि लग्नाङ्केन च योजयेत् ।
त्रिभिर्भागावशेषेच खैके नारी द्वये पुमान् ॥ यदि कोई व्यक्ति जन्मकुण्डली को दिखाकर यह प्रश्न करे कि यह जन्मकुण्डली पुरुष की है या स्त्री की तो उस जन्मकुण्डली में सूर्य राहु और मंगल जिस-जिस राशि पर बैठे हो उस-उस राशि संख्या एवं लग्न संख्या इन सभी का योग कर उसमें ३ का भाग देने पर यदि शून्य अथवा एक शेष रहे तो वह कुण्डली स्त्री की है और दो शेष रहें तो पुरुष की है, ऐसा कहना चाहिए।
विशेष- जन्मकुण्डली सही समय और सही विधि से बनाई गई हो।
अब प्रश्नकुण्डली के आधार पर तद्गत सूर्य चन्द्र एवं लग्न राशियों के चर स्थिर एवं द्विःस्वभाव होने से फलाफल के विषय में अर्थात् शुभफल और अशुभफल बनाए जा रहे हैं। इन्हें यहाँ संक्षेपार्थ सारणी में प्रदर्शित किया जायगा। (बृहज्यौतिषसार से समुद्धृत)
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