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[मुहूर्तराज
शाला
अध्यक्ष प्रो. बटुक नाथ शास्त्री खिस्ते ने किया। अनन्तर | विद्वानों ने भारतीयता और संस्कृति की रक्षा हेतु बलिदान काशी पंण्डित सभा के मंत्री डॉ. विनोद राव पाठक ने | किया है। उन्होंने हिन्दू संस्कृति एवं शास्त्रों के रक्षार्थ सभा का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया । प्रचार मंत्री पं. | ब्रह्मानंद चतुर्वेदी ने अभिनन्दनीय मुनिश्री का परिचय दिया। डॉ. श्रीराम पाण्डेय भूतपूर्व न्याय विभागाध्यक्ष संस्कृत विश्वविद्यालय ने मुनिश्री को अभिनन्दन पत्र | पाण्डत प्रदान किया । अनन्तर काशी पंण्डित सभा की ओर से | विशषा मुनिश्री जयप्रभु विजयजी को मानद् उपाधि प्रदान की | वार गयी।
विद्वद्गोष्ठी में भाग लेने वालों में प्रमुख थे- सर्वश्री मेजर नरेन्द्र श्रीवास्तव-प्राचार्य, दयानन्द महाविद्यालय, डॉ. कैलाशपति त्रिपाठी-साहित्य संस्कति संकायाध्यक्ष.
मानव उपाधि ग्रहण करते हुए मुनिश्री जयप्रभ विजयजी। छाया: जागरण सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, डॉ. रेवा प्रसाद
गोष्ठी में अन्य विद्वानों ने कहा कि शास्त्रों की रक्षा द्विवेदी- साहित्य विभागाध्यक्ष, काशी हिन्दू
| तथा संस्कृत भाषा को और समुन्नत बनाने के लिए हिन्दू विश्वविद्यालय, डॉ. देवस्वरूप मिश्र-दर्शन संकायाध्यक्ष, | धर्मावलम्बी सभी सन्त एवं मुनियों को भी आगे आना सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, डॉ. रामप्रसाद | चाहिए। आज जहां अनेक धर्म एवं संस्कृतियां आपसी त्रिपाठी- भूतपूर्व व्याकरण विभागाध्यक्ष, सम्पूर्णानन्द | द्वन्द में समाप्त होती जा रही है, वही हमारी सभ्यता एवं संस्कृत विश्वविद्यालय, पं. चल्लालक्ष्मण शास्त्री आदि | संस्कृति का स्वरूप अक्षुण्ण बना है इसका श्रेय हमारे प्रमुख थे। धन्यवाद पं. बंदिकृष्ण त्रिपाठी ने दिया ।
मुनियों, संत महात्माओं को ही है। विद्वानों ने संस्कृति
| के बहमखी विकास के लिए अनेक उपाय बताये। अधिवेषन में उपस्थित विद्वनों का काशी पण्डित सभा
__कार्यक्रम का प्रारम्भ पं. मंगलेश्वर पाठक के वैदिक की ओर से सत्कार किया गया। सभा का संचालन डॉ.
मंगलाचरण से हुआ आगत अतिथियों का स्वागत काशी विनोद राव पाठक ने किया।
पंण्डित सभा के अध्यक्ष प्रो. बटुक नाथ शास्त्री खिस्ते ने (४) गांडीव ११ नवम्बर १९८९
किया। काशी पंण्डित सभा के मंत्री डॉ. विनोद राव पाठक ने सभा का तथा प्रचार मंत्री पं. ब्रह्मानंद चतुर्वेदी ने मुनिश्री
जयप्रभ विजय का परिचय दिया। डॉ. श्रीराम पाण्डेय ने याड
सभा की ओर से मुनिश्री जयप्रभ विजयजी को मानद् हिन्दू संस्कृति की रक्षा के लिए उपाधि भी प्रदान की गयी।
गोष्ठी में सर्वश्री मेजर नरेन्द्र श्रीवास्तवडॉ. कैलाशपति काशी के विद्वानों का आह्वान ।
त्रिपाठी, डॉ. रेवा प्रसाद द्विवेदी, डॉ. देवस्वरूप मिश्र, काशी । अगस्त्य कण्ड स्थित शारदा भवन में काशी | डॉ. रामप्रसाद त्रिपाठी, पं. चल्लालक्ष्मण शास्त्री आदि पण्डित सभा के विशेष अधिवेशन में धार (मध्य प्रदेश) | ने अपने विचार व्यक्त किये । कार्यक्रम का संचालन डॉ. से के मुनिश्री जयप्रभ विजय हिन्दू संस्कृति एवं शास्त्रों
विनोद राव पाठक ने तथा धन्यवाद प्रकाश श्री बंदीकृष्ण की रक्षा पर बल देते हुए आपने कहा कि जब-जब हिन्दू
त्रिपाठी ने किया। धर्म एवं संस्कृति पर आघात हुआ है, तब-तब काशी के
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वा मुनिश्री का अभिनन्दन पत्र प्रदान किया। काशी पंण्डित
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