Book Title: Muhurtraj
Author(s): Jayprabhvijay
Publisher: Rajendra Pravachan Karyalay Khudala

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Page 492
________________ . मुहूर्तराज ] [४२३ ज्ञानभूषण का उल्लेख प्रत्येक प्रकाश के अन्त में पाया जाता है और अकबर का भी उल्लेख कई बार हुआ है। खेट चुला : आचार्य ज्ञानभूषण ने 'खेट चुला' नामक ग्रन्थ की रचना की, ऐसा उल्लेख उनके स्वरचित ग्रन्थ 'ज्योति प्रकाश' में है। षष्टिसंवत्सर फल : ___ दिगम्बराचार्य दुर्गदेवरचित 'षष्टिसंवत्सर फल' नामक ग्रन्थ की ६ पत्रों की प्रति' में संवत्सरों के फल का निर्देश है। लघुजातक टीका : _ 'पंचसिद्धान्तिका' ग्रन्थ की शक सं. ४२७ (वि. सं. ५६२) में रचना करने वाले वराहमिहिर ने 'लघुजातक' की रचना की है। यह होरा शाखा के 'बृहज्जातक' का संक्षिप्त रूप है। ग्रन्थ में लिखा है। होराशास्त्रं वृतैर्मया निबद्धं निरीक्ष्यशास्त्राणि । यतास्याप्याभिः सारमहं संप्रवक्ष्यामि ॥ इस ग्रन्थ पर खरतरगच्छीय मुनि भक्तिलाभ ने वि. सं. १५७१ में विक्रमपुर में टीका की रचना की है। तथा भक्ति सागर मुनि ने वि. सं. १६०२ में भाषा में वचनिका और उपकेशगच्छीय खुशालसुन्दर मुनि ने वि. सं. १८३९ में स्तवक लिखा है। मुनि मतिसागर ने इस ग्रन्थ पर वि. सं. १६०५ में वर्तिका रचा है। लघुश्यामसुन्दर ने भी 'लघुजातक' पर टीका लिखी है। जातकपद्धति टीका : श्रीपति ने 'जातकपद्धति' की रचना करीब वि. सं. ११०० में की है। इस पर अंचलगच्छीय हर्षरत्न ने शिष्य मुनि सुमतिहर्ष ने वि. सं. १६७३ में पद्मावति पत्तन में 'दीपिका' नामक टीका की रचना की है। आचार्य जिनेश्वरसूरि ने भी इस ग्रन्थ पर टीका लिखी है। सुमति हर्ष ने 'बृहत्पर्वमाला' नामक ज्योतिष ग्रन्थ की भी रचना की है। इन्होंने ताजिकसार करणकुतुहल और होरामकरन्द नामक ग्रन्थों पर भी टीकाएं रची है। ताजिकसार टीका : 'ताजिक' शब्द की व्याख्या करते हुए किसी विद्वान ने इस प्रकार बताया है। यवनाचार्येण पारसीकभाषया ज्योतिषशास्त्रेकदेशरूपं । वार्षिकादिनानाविध फलादेशफल फलकशास्त्रं ताजिकशब्दवाच्यं ॥ १. यह प्रति लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्या मन्दिर, अहमदाबाद में है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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