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मुहूर्तराज ]
[४३१ ____ बाद में धार जिलान्तर्गत श्री मोहनखेड़ा तीर्थ से पधारे ज्योतिष शास्त्र के मर्मज्ञ विद्वान ज्योतिषमार्तण्ड शासन दीपक पूज्य मुनि प्रवर श्री जयप्रभविजयजी 'श्रमण' महाराज सा. का परिचय डॉ. पण्डित श्री ब्रह्मानन्दजी चतुर्वेदी ने रोचक शैली से दिया।
सभा का कार्यक्रम आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित डॉ. पण्डित श्रीराम पाण्डे ने संस्कृत श्लोकबद्ध अभिनन्दन-पत्र अभिवादन सह अर्पण किया।
पण्डित प्रवरों ने अपने ओज व विद्वद्त्तापूर्ण भाषणों से कार्यक्रम सफलतापूर्वक आगे बढ़ाते गए। विद्वद्गोष्ठि में भाग लेने वाले प्रमुख पण्डित प्रवरों में श्री मेजर श्री नरेन्द्रजी श्रीवास्तव प्राचार्य दयानन्द महाविद्यालय वाराणसी डॉ. श्री कैलाशपति त्रिपाठी साहित्य संस्कृत संकायाध्यक्ष, डॉ. सम्पुर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी, डॉ. पण्डित श्री रेवाप्रसादजी द्विवेदी साहित्य विभागाध्यक्ष काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी, डॉ. श्री देवस्वरूपजी मिश्र दर्शन संकायाध्यक्ष, डॉ. सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी, डॉ. श्रीरामप्रकाशजी त्रिपाठी भू.पू. व्याकरण विभागाध्यक्ष, डॉ. श्री सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी। पण्डित प्रवर ज्योतिषशाला के मर्मज्ञ विद्वान श्री चंचलता लक्ष्मण शास्त्री आदि पधारे पण्डित प्रवरों के भाषण के बाद अध्यक्ष महोदय के आदेश से ज्योतिषाचार्य की उपाधि के पत्र को पढ़ने का डॉ. पण्डित विनोदरावजी पाठक को दिया। पश्चात् डॉ. बटुकनाथजी शास्त्री खिस्ते व डॉ. श्री विनोदरावजी पाठक ने परम पूज्य ज्योतिष शास्त्र के मर्मज्ञ विद्वान आदरणीय मुनि प्रवर श्री जयप्रभविजयजी 'श्रमण' को ज्योतिषाचार्य की मानद उपाधि प्रदान की। परम पूज्य मुनि प्रवर श्री जयप्रभविजयजी 'श्रमण' महाराज ने ज्योतिष शास्त्र को जैनाचार्यों को देन के विषय में समयोचित व्याख्यान दिया।
कार्यक्रमको समाप्त करते डॉ. पण्डित वर्यश्री बन्दीकृष्ण त्रिपाठी ने माना व काशी पण्डित सभा के मंत्री डॉ. पण्डित श्री विनोदरावजी पाठक ने सफल संचालन किया।
अधिवेशन में पधारे प्रमुख विद्वान वर्ग पण्डित डॉ. बटुकनाथजी शास्त्री खिस्ते - राष्ट्रपति सम्मानित पण्डित डॉ. श्रीराम पाण्डेय राष्ट्रपति सम्मानित। पण्डित डॉ. श्री वशिष्ठजी पण्डित डॉ. श्री देवस्वरूप मिश्र राष्ट्रपति सम्मानित पण्डित डॉ. श्री रामचन्द्रजी पाठक पण्डित डॉ. श्री बन्दीकृष्णजी त्रिपाठी पण्डित डॉ. श्री विनोदरावजी पाठक
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