Book Title: Muhurtraj
Author(s): Jayprabhvijay
Publisher: Rajendra Pravachan Karyalay Khudala

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Page 515
________________ ४३८ ] [मुहूर्तराज मंगलेश्वर पाठक के वैदिक मंगलाचरण से हुआ अनन्तर | हुआ है, तब-तब काशी के विद्वानों ने भारतीयता और पौराणिक एवं संगीतक मंगलाचरण हुआ। स्वागत भाषण | संस्कृति की रक्षा हेतु बलिदान किया है। काशी पण्डित सभा के अध्यक्ष प्रो. बटुकनाथ शास्त्री गोष्ठी में भाग लेते हुए अन्य वक्ताओं ने कहा कि खिस्ते ने किया। अनन्तरन काशी शास्त्रों की रक्षा तथा संस्कृत भाषा को और समुन्नत बनाने पण्डित सभा के मंत्री डॉ. विनोद राव पाठक ने सभा | के लिए विद्वानों के अतिरिक्त हिन्दू धर्मावलम्बी सभी का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया। प्रचार मंत्री पं. बह्मानंद चतुर्वेदी ने अभिनंदनीय मुनिश्री का परिचय दिया । डॉ. सन्त एवं मुनियों को भी आगे आना चाहिए। विद्वानों ने श्रीराम पाण्डेय भूतपूर्व न्याय विभागाध्यक्ष संस्कृत | कहा कि आज जहां अनेक धर्म एवं संस्कृतियां आपसी विश्वविद्यालय ने मुनिश्री को अभिनन्दन पत्र प्रदान | द्वन्द में समाप्त होती जा रही है, वही हमारी सभ्यता एवं किया। संस्कृति का स्वरूप अक्षुण्ण बना है इसका श्रेय हमारे विद्दगोष्ठी में भाग लेने वालों में प्रमुख थे -सर्वश्री | मुनियों, संत महात्माओं को ही है। मेजर नरेन्द्र श्रीवास्तव प्राचार्य, दयानन्द महाविद्यालय, ___ कार्यक्रमों का प्रारम्भ पं. मंगलेश्वर पाठक के वैदिक डॉ. कैलाशपति त्रिपाठी साहित्य संस्कृति संकायाध्यक्ष सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, डॉ. श्री रेवाप्रसाद मंगलाचरण से हुआ, अनन्तर पौराणिक एवं सांगीतक द्विवेदी, साहित्य विभागाध्यक्ष काशी हिन्दू विश्वविद्यालय मंगलाचरण हुआ।स्वागत भाषण काशी पंण्डित सभा के डॉ. देवस्वरूप मिश्र दर्शन संकायाध्यक्ष सम्पूर्णानंद संस्कृत | अध्यक्ष प्रो. बटुक नाथ शास्त्री खिस्ते ने किया। अनन्तर विश्वविद्यालय, डॉ. रामप्रसाद त्रिपाठी भूतपूर्व व्याकरण | काशी पंण्डित सभा के मंत्री डॉ. विनोद राव पाठक ने विभागाध्यक्ष सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, पं सभा का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया । प्रचार मंत्री पं. चल्लालक्ष्मण शास्त्री आदि प्रमुख थे। ब्रह्मानंद चतुर्वेदी ने अभिनन्दनीय मुनीश्री का परिचय दिया। डॉ. श्रीराम पाण्डेय भूतपूर्व न्याय विभागाध्यक्ष संस्कृत विश्वविद्यालय ने मुनिश्री को अभिनन्दन पत्र प्रदान किया । अनन्तर काशी पण्डित सभा की ओर से वाराणसी, मंगलवार 7 नवम्बर 1989 मुनीश्री जयप्रभ विजयजी को मानद उपाधि प्रदान की गई। विद्वदगोष्ठी में भाग लेने वालों में प्रमुख थे- सर्वश्री हिन्दू संस्कृति की रक्षा हेतु | नरेन्द्र श्रीवास्तव, डॉ. कैलाशपति त्रिपाठी, डा. श्री रेवा काशी के विद्वानों का आह्वान प्रसाद द्विवेदी, डॉ. देवस्वरूप मिश्र, डॉ. रामप्रसाद वाराणसी, सोमवार । अगस्त्य कुण्ड स्थित शारदा | त्रिपाठी, पं. लक्ष्मण शास्त्री आदि प्रमुख थे । धन्यवाद भवन में रविवार को सम्पन्न हुए काशी पण्डित सभा के | पं. बंदिकृष्ण त्रिपाठी ने दिया। संचालन श्री विनोद राव विशेष अधिवेशन में (धार) मध्य प्रदेश से पधारे मुनिश्री | पाठक ने किया। जयप्रभ विजय ने कहा कि हिन्दू संस्कृति एवं शास्त्रों कि रक्षा हेतु काशी विद्वानों को आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब-जब हिन्दू धर्म और संस्कृति पर आघात जनमख Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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