Book Title: Muhurtraj
Author(s): Jayprabhvijay
Publisher: Rajendra Pravachan Karyalay Khudala

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Page 518
________________ मुहूर्तराज ] [४४१ समुन्नत करने के लिए विद्वानों के अतिरिक्त हिन्दू | अधिवेशन में धार (मध्य प्रदेश) से पधारे मुनिश्री जयप्रभ धर्मावलम्बी सभी संतों मुनियों को आगे आना चाहिए । । विजय ने कहा कि हिन्दू संस्कृति एवं शास्त्रों की रक्षा उन्होंने कहा कि आज यहां अनेक धर्म एवं संस्कृतियां | पर बल देते हुए कहा कि इसके लिए काशी के विद्वानों आपसी द्वंद्व के कारण समाप्त होती जा रही है, वही हमारी | को आगे आना चाहिए। आपने कहा कि जब-जब हिन्दू सभ्यता एवं संस्कृति का स्वरूप अक्षुण्ण बना है। इसका | धर्म और संस्कृति पर आघात हुआ है, तब-तब काशी श्रेय हमारे मुनियों, संत महात्माओं को ही जाता है। के विद्वानों ने भारतीयता और संस्कृति की रक्षा हेतु ___ गोष्ठी में सर्वश्री मेज़र नरेन्द्र श्रीवास्तव,डाक्टर बलिदान किया है। कैलाशपति त्रिपाठी, डाक्टर रेवाप्रसाद द्विवेदी, गोष्ठी में भाग लेते हुए अन्य विद्वानों ने कहा कि डाक्टर देवस्वरूप मिश्र, डाक्टर रामप्रसाद त्रिपाठी, शास्त्रों की रक्षा तथा संस्कृत भाषा को और समुन्नत पण्डित चेल्ला लक्ष्मण शास्त्री आदि ने विचार बनाने के लिए विद्वानों के अतिरिक्त हिन्दू धर्मावलम्बी व्यक्त किये। स्वागत भाषण प्रोफेसर बटकनाथ शास्त्री सभी सन्त एवं मुनियों को भी आगे आना चाहिए । खिस्तेने किया। कार्यक्रम का संचालन डाक्टर विनोदराव भारतीय संस्कृति एवं शास्त्रों की चर्चा करते हुए विद्वानों पाठक ने किया। ने कहा कि आज जहां अनेक धर्म एवं संस्कृतियां आपसी द्वन्द में समाप्त होती जा रही है, वही हमारी सभ्यता एवं दैनिक जागरण संस्कृति का स्वरूप अक्षुण्ण बना है इसका श्रेय हमारे मुनियों, संत महात्माओं को ही है। विद्वानों ने संस्कृति वाराणसी (इलाहबाद) ५ नवम्बर १९८९ के बहुमुखी विकास के लिए अनेक उपाय बतलाये । यह हर्ष का विषय है कि शास्त्र रक्षा के कार्य में मुनिश्री जय काशी पण्डित सभा का अधिवेशन प्रभ विजयजी जैसे विद्वानों का अमूल्य योगदान हो रहा है। वाराणसी। काशी पण्डित सभा द्वारा अगस्तकुण्डा स्थित ___ कार्यक्रमों का प्रारम्भ पं. मंगलेश्वर पाठक के वैदिक शारदा भवन में रविवार को अपरान्ह २ बजे विशेष मंगलाचरण से हुआ अनन्तर पौराणिक एवं सांगीतक अधिवेशन आयोजित किया है। इस अधिवेशन में ज्योतिष शास्त्रवेत्ता मुनिश्री जयप्रभ विजय (मध्य प्रदेश) मंगलाचरण हुआ। स्वागत भाषण काशी पंण्डित सभा का अभिनंदन एवं उन्हें मानपत्र भेंट किया जायेगा। के अध्यक्ष प्रो. बटुक नाथ शास्त्री खिस्ते ने किया । अनन्तर काशी पंण्डित सभा के मंत्री डॉ. विनोद राव वाराणसी बुधवार ८ नवम्बर १९८९ पाठक ने सभा का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया । प्रचार मंत्री पं. ब्रह्मानंद चतुर्वेदी ने अभिनन्दनीय मुनीश्री का हिन्दू संस्कृति की रक्षा के लिए परिचय दिया । डॉ. श्रीराम पाण्डेय भूतपूर्व न्याय हिन्दू काशी के विद्वानों का आह्वान विभागाध्यक्ष संस्कृत विश्वविद्यालय ने मुनिश्री को ___ - मुनिश्री जयप्रभ विजय अभिनन्दन पत्र प्रदान किया। वाराणसी । अगस्त्य कुण्ड स्थित शारदा भवन में __विद्वद्गोष्ठी में भाग लेने वालों में प्रमुख थे- सर्वश्री रविवार सम्पन्न हुए काशी पण्डित सभा के विशेष | मेजर नरेन्द्र श्रीवास्तव-प्राचार्य, दयानन्द महाविद्यालय, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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