Book Title: Muhurtraj
Author(s): Jayprabhvijay
Publisher: Rajendra Pravachan Karyalay Khudala

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Page 517
________________ ४४० ] जयदेश वाराणसी मंगलवार ७ नवम्बर हिन्दू संस्कृति की रक्षा के लिये काशी के विद्वान आगे आयें वाराणसी, ६ नव । अगस्त्य कुण्ड स्थित शारदा भवन में कल सम्पन्न हुए काशी पण्डित सभा के विशेष अधिवेशन में धार मध्य प्रदेश से पधारे मुनिश्री जयप्रभ विजय ने हिन्दू संस्कृति एवं शास्त्रों कि रक्षा पर बल देते हेतु कहा कि इसके लिए काशी के विद्वानों को आगे आना चाहिए क्योंकि जब-जब हिन्दू धर्म एवं संस्कृति पर आघात हुआ है, तब-तब काशी के विद्वानों ने भारतीयता और संस्कृति की रक्षा हेतु बलिदान किया है। गोष्ठी में भारतीय संस्कृति एवं शास्त्रों की चर्चा करते हुए विद्वानों ने कहा कि आज जहां अनेक धर्म एवं संस्कृतियां आपसी द्वन्द में समाप्त होती जा रही है, वही हमारी सभ्यता एवं संस्कृति का स्वरूप अक्षुण्ण बना है इसका श्रेय हमारे मुनियों, संत महात्माओं को ही है । विद्वानों ने संस्कृति के बहुमुखी विकास के लिए अनेक उपाय बतलाये । यह हर्ष का विषय है कि शास्त्र रक्षा के कार्य में मुनिश्री जय प्रभविजयजी जैसे विद्वानों का अमूल्य योगदान हो रहा है। विद्वद्गोष्ठी में सर्वश्री मेजर नरेन्द्र श्रीवास्तव, प्राचार्य, दयानन्द महाविद्यालय, डॉ. कैलाशपति त्रिपाठी, साहित्य संस्कृति संकायाध्यक्ष, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, डॉ. रेवा प्रसाद द्विवेदी - साहित्य विभागाध्यक्ष, का. हि. वि. वि. डॉ. देवस्वरूप मिश्र-दर्शन संकायाध्यक्ष, स. सं.वि.वि., डॉ. रामप्रसाद त्रिपाठी भू.पू. व्याकरण विभागाध्यक्ष, सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, पं. चल्लालक्ष्मण शास्त्री आदि प्रमुख थे । Jain Education International [ मुहूर्तराज धन्यवाद पं. बंदिकृष्ण त्रिपाठी ने किया। अधिवेषन में उपस्थित विद्वनों का काशी पण्डित सभा की ओर से सत्कार किया गया । कार्यक्रम का संचालन डॉ. विनोद राव पाठक ने किया । आज सर्वाधिक प्रसारित वाराणसी, गोरखपुर, इलाहाबाद, कानपुर, लखनऊ, आगरा, पटना, रांची, जमशेदपुर तथा धनबाद से प्रकाशित हिन्दू संस्कृति की रक्षा के लिए काशी के विद्वानों का आह्वान जब-जब हिन्दू धर्म एवं संस्कृति पर आघात हुआ है तब काशी के विद्वानों ने धर्म संस्कृति की रक्षा हेतु बलिदान दिया है । पण्डित विशेषा बार मानव उपाधि ग्रहण करते हुए मुनिश्री जयप्रभ विजयजी । छायाः बागरण अगस्त्यकुण्ड स्थित शारदा भवन में रविवार को काशी पण्डित सभा की ओर से आयोजित अधिवेशन में उक्त विचार व्यक्त करते हुये मध्य प्रदेश के मुनिश्री जयप्रभु विजय ने कहा कि शास्त्रों की रक्षा तथा संस्कृत भाषा को For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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