Book Title: Muhurtraj
Author(s): Jayprabhvijay
Publisher: Rajendra Pravachan Karyalay Khudala

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Page 499
________________ ४३० ] [ मुहूर्तराज त्यतिमा का साथ व्याधि से ज्योतिषाचार्य की मानद उपाधि से विभूषित श्री महावीर स्वामी निर्वाण संवत् २५१५ श्रीविक्रम सं. २०४६ श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वर सं. ८४ ईस्वी ८९ कार्तिक सूदी ५ रविवार दिनांक ५/११/८९ को परम पूज्य व्याख्यान वाचस्पति आगम भास्कर लक्ष्मणी तीर्थ संस्थापक मोहनखेड़ा भाण्डवपुर तीर्थोद्धारक श्री श्री १००८ श्रीमद्विजययतीन्द्रसूरीश्वरजी महाराज के शिष्य रत्न परम पूज्य शासन दीपक ज्योतिष मार्तण्ड मुनि प्रवर श्री जयप्रभविजयजी श्रमण महाराज सा. अपने शिष्य रत्न प्रवचनकार शासन रत्न मुनिराज श्री हितेशचन्द्रविजयजी 'श्रेयस' के साथ काशी नगरी में चातुर्मास विराजमान थे। उस समय काशी पण्डित सभा के प्रचार मंत्री श्री ब्रह्मानन्दजी चतुर्वेदी एवं मंत्री डॉ. श्री विनोदरावजी पाठक से परिचय हुआ। इनके माध्यम से विद्वद्वर्ग में परिचय बढ़ा एवं एक दो कार्यक्रमों में जाना भी हुआ। इसी क्रम में बनारस हिन्दी विश्वविद्यालय बनारस ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता पण्डित प्रवर राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित श्रीरामचन्द्रजी पाण्डेय से परिचय हुआ। परिचय दिन प्रतिदिन प्रगाढ़ होता गया। काशी पण्डित सभा का कार्यालय शारदा भवन अगसत्य कुण्ड में दिनांक ५/११/८९ रविवार को विशेष अधिवेशन काशी पण्डित सभा के अध्यक्ष श्री डॉ. बटुकनाथजी शास्त्री खिस्ते की अध्यक्षता में आमंत्रित किया। सम्मेलन प्रारंभ होने से पूर्व काशी पण्डित सभा के मंत्री डॉ. पण्डित विनोदरायजी पाठक ने आज के सम्मेलन की अध्यक्षता करने के लिए प्रस्ताव रखा, जिसका अनुमोदन काशी पण्डित सभा के प्रचार मंत्री डॉ. पण्डित ब्रह्मानन्दजी चतुर्वेदी ने किया। अध्यक्ष महोदय ने अध्यक्षीय आसन ग्रहण करके मंगलाचरण का कार्य प्रारंभ किया। पण्डित श्री मंगलेश्वर पाठक ने शास्त्री संगीत से प्रारंभ किया। पश्चात् अध्यक्ष महोदय श्री बटुकनाथजी शास्त्री खिस्ते ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने विद्वत्ततापूर्ण भाषण में परम पूज्य कालिकाल सर्वज्ञ कुमार पाल राजा प्रतिबोधक प्राकृत शास्त्र के प्रकाण्ड पण्डित जिन्होंने ३ करोड़ श्लोक की रचना करके अपने आप में गौरवपूर्ण कार्य किया एवं प्राकृत संस्कृत के महान लेखक परम पूज्य सकलागम रेहस्यवेदी सौधर्म बृहत्पोगच्छ नायक. श्री मोहनखेड़ा तीर्थ संस्थापक परम गीतारय भट्टारक श्वेताम्बराचार्य प्रभु श्रीमद्विजयराजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज सा. द्वारा लिखित अभिधान राजेन्द्र कोष की रचना करके विद्वद् जगत् से यश पाया। दोनों महान् जैनाचार्यों को हार्दिक पुष्पांज देते हुए अभिनन्दन अभिवादन किया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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