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मुहूर्तराज ]
[३७७
॥ अथ सत्यरूपशकुनावलिकोष्ठक ॥
(बा.बो.ज्यो.सा.स.से)
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बं भं ४२, ४३ लं क्षं ५३, ५४ शं, वं ४९, ४८
यं रं ४५, ४६
५२, ५१
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३५
१२
३७ अं.१८
३६ औं. १७
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ओं १६
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एं १४
लूं १३
शकुनावलि देखने की विधिः
स्नान करके पूजन पाठ से निवृत्त होकर मन में शुद्ध भाव धार कर अपने कार्य को सोचकर उपरिलिखित अक्षरों में से किसी एक का चिन्तन करें। तदनुसार जो सुफल कुफल आवे उसे सत्य समझे।
॥ अथ अंकानुसार सत्यरूप शकुनावालीफल ॥
(बा.बो.ज्यो.सा. समुच्चय से)
अं.
फ.
फ.
अं.
अं.
फल
अं.
फल
|
अं.
फल
१ | शुभ
द्रव्य लाभ
लाभ
अशुभ
भय
२
कार्य मि |
पीडा
सुख लाभ अशुभ
रान
अशुभ लाभ
शुभ
कल्याण
नाश
विजय
रोग
शुभ
नाश
सिद्धि
सुख लाभ
सिद्धि
सिद्धि
लाभ
सम्पत्ति
सन्ताप
चिन्ता
क
५ अशुभ
ऐश्वर्य | शुभ
अशुभ ९ स्थान ला. १८
शून्य शुभ
विजय
शुभ
लाभ
अशुभ अर्थ लाभ अर्थ हानि महापीडा
शुभ
मध्यम
अर्थ लाभ | ३५ हानि । ३६ | सिद्धि | ४५
यश
सुख
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