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मुहूर्तराज ] विशेष
रिपुनीचोपगतैर्दुःस्वप्नं विबलैर्विनिर्दिशेत् खेटै । रविकिरणमुषितदेहैः प्रष्टुः स्वप्ने वदेदेवम् ॥
अर्थात् उक्त स्वप्नदर्शनप्रश्नलग्न में यदि ग्रह शत्रु या नीच राशि के हों अथवा सूर्य के सान्निध्य से अस्त हो तो दुःस्वप्न आया है, ऐसा कहें अथवा स्वप्न भयप्रद था। चोर ज्ञान प्रश्न - (बृहज्यौतिषासार)
स्थिर लग्ने स्थिरभागे वर्गोत्तमकांशके हृतं द्रव्यम् । आत्मीयेनेति वदेच्चरराशौ परजतेन हृतय् ॥ द्विशरीरे लग्नगते गृह निकटनिवासिना च हृतय् ।
अर्थ चोर घर का है या बाहर का ऐसे प्रश्न में, - यदि प्रश्नकालिक लग्न में स्थिर राशि (वृष, सिंह, वृश्चिक, कुंभ) स्थिर राशि के नवांश या वर्गोत्तम नवांश हो तो घर का व्यक्ति ही चोर है। तथा चरराशि (मेष, कर्क, तुला, मकर) चरराशि का नवांश हो तो बाहर का व्यक्ति चोर है और यदि प्रश्नकालिक लग्न दि:स्वभाव ( मिथुन, कन्या, धनु, मीन) राशि हो तो घर के समीप ( पडोसी आदि को ) चोर समझे । हृतनष्टवस्तु स्थान—(बृहज्यौतिषसार )
स्थिरराशौ तत्रस्थं चरराशौ निर्गतं बहिर्भवनात् । द्विशरीरे गृहबाहये भूमिगतं विनिर्दिशेत् द्रव्यम् ॥
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अर्थ - यदि प्रश्नलग्न में स्थिरराशि हो तो खोई वस्तु घर में, चर राशि हो तो घर के बाहर और द्विः स्वभाव राशि लग्न में हो तो घर के समीप में ही पृथ्वी में गड़ी हुई है, ऐसा कहना ।
ग्रहों के शरीर स्वरूप - (बृहज्यौतिषसार)
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दीर्घः ।
चतुरस्त्रोऽर्को भौमो वृत्तः सुषिरेन्दुरिन्दुजो दीर्घः सुतनुः शुक्रो जीवः परिवर्तुलो अतिसूक्ष्मो भृगुतनयो दीर्घः सुषिरान्तरोऽर्कतनयः स्यात् । हृष्टाद प्रश्ने द्रव्यं सबलाद् ग्रहात्प्रवदेत् ॥
ज्ञेयः ॥
अर्थ - सूर्य एवं मंगल चरतुस्त्र ( वर्गाकार अर्थात् लम्बाई चौडाई बराबर वाले) सुषिरेन्दु (चन्द्रमा बीच में छिद्र युक्त गोल) इन्दुज (बुध) दीर्घ शुक्र दीर्घ कृश एवं सुन्दर शरीर, गुरु, वर्तुलाकार, शनि लम्बा एवं छिद्रयुक्त देहधारी है।
चोरी, खोई हुई वस्तु अथवा जातकादि के रूप और आकृति आदि प्रश्नकालिक बलीग्रह के समान ही जानें।
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