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मुहूर्तराज ]
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परिशिष्ट (४)
ज्योतिष शास्त्र की प्राचीनता पर प्रकाश डालते हुवे प्रारम्भ से जैनाचार्यों ने समय-समय पर साहित्य की रचना की, जिसका विवरण श्री पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान हिन्दु यूनिवर्सिटी वाराणसी से प्रकाशित जैन साहित्य का बृहद् इतिहास भाग ५ से ज्योतिष विषय साभार उद्धृत किया है। जिससे ज्योतिष एवं जैनाचार्यों की देन विषय पाठक पूर्णत: समझ सके ।
* संयोजक * ज्योतिष विशारद् मुनि जयप्रभविजय " श्रमण "
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