Book Title: Muhurtraj
Author(s): Jayprabhvijay
Publisher: Rajendra Pravachan Karyalay Khudala

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Page 438
________________ मुहूर्तराज ] [३६९ कार्यसिद्धिप्रश्न दिशा प्रहरसंयुक्ता तारकावारमिश्रिता । अष्टभिस्तु हरेद्भागं शेषं प्रश्नस्य लक्ष्मणम् ॥ पञ्चके त्वरिता सिद्धिः षट्तुर्ये च दिनत्रयम् । त्रिसप्तके विलम्बश्च द्वौ चाष्टौ न च सिद्धिदौ ॥ अर्थ - प्रश्नकर्ता का मुख जिस दिशा (पूर्व, आग्नेय, दक्षिणादि) में हो उस दिशा की क्रमसंख्या, प्रश्न दिन के प्रहर की संख्या. उस दिन के चन्द्रनक्षत्र की संख्या, उस दिन के संख्या. उस दिन के चन्द्रनक्षत्र की संख्या. उस दिन के वार की संख्या. इन चारों को जोड़कर आगत संख्या में ८ का भाग दें, शेषांकों से इस प्रकार फल कहे: यदि ५ अथवा १ शेष रहें तो शीघ्रतया कार्यसिद्धि, ६ अथवा ४ शेष रहें तो तीन दिनों में कार्यसिद्धि हो। ३ और ७ शेष रहें तो कार्यसिद्धि में विलम्ब हो और २ अथवा ८ या ० शेष रहें तो कार्यसिद्धि नहीं होवे। उदाहरण- सं. २०३९ द्वि. आश्विन शुक्ला १५ सोमवार अश्विनी नक्षत्र एवं ३ रे प्रहर में प्रश्नकर्ता ने पश्चिममुख होकर प्रश्न किया है, अत: पश्चिम दिशा क्रमांक ५, प्रहरांक ३, नक्षत्रांक १ वारांक २ इन चारों का योग करने पर (५ + ३ + १ + २ = ११) हुए इसमें ८ का भाग देने पर शेष ३ रहे तो श्लोकानुसार कार्य में विलम्ब से सिद्धि प्राप्त होगी, यह फलादेश कथना चाहिए। कार्याकार्मप्रश्न तिथिः प्रहर संयुक्ता, तारकावारमिश्रिता । अग्निभिस्तु हरेद् भागं शेषं सत्त्वं रजस्तमः ॥ सिद्धिरत्ता त्कालिकी सत्त्वे, रजसा तु विलम्बिता ।। तमसा निष्फलं कार्यम् ज्ञातव्यं प्रश्नकोविदैः ॥ अर्थ - प्रश्न करने की तिथि, प्रहर, नक्षत्र एवं वार के संख्याकों का योग करके ३ का भाग दें। यदि १ शेष रहे तो सत्त्वगुणी २ शेष रहें तो रजोगुणी और ३ अर्थात् शून्य शेष रहे तो तमोगुणी प्रश्न है ऐसा जानना । सत्त्वगुणी प्रश्न हो तो तत्कालसिद्धि, रजोगुणी हो तो सिद्धि में विलम्ब एवं तमोगुणी हो तो प्रश्न निष्फल है। पूर्वोक्तोदाहरण में कथित तिथि + प्रहर + नक्षत्र + वार (१५ + ३ + १ + २ = २१ * ३ शेष ०) का योग करके ३ का भाग देने पर शून्य शेष रही अत: तमोगुणी प्रश्न होने से कार्य सिद्ध नहीं होगा। पञ्चदशीयन्त्रप्रश्न नवैकपंच त्वरितं वदन्ति, अष्टौ द्वितीये न च कार्यसिद्धिः । रसश्च वेदो घटिकात्रयं च, सप्तत्रयं केवलमेव वार्ता ॥ अर्थ - निम्नलिखित पञ्चदशीयन्त्र के यदि ८, १ और ५ अंकों का स्पर्श प्रश्नकर्ता की अंगुली करे तो शीघ्र कार्यसिद्धि होती है। ८ और २ का स्पर्श करे तो कार्यसिद्ध नहीं होता। ६ और ४ का स्पर्श Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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