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[ मुहूर्तराज अर्थ - प्रथम चतुर्थ सप्तम और दशम भाव के नाम केन्द्र चतुष्टय और कंटक है। द्वितीय पञ्चम अष्टम और एकादश भाव का नाम पणफर है तथा तृतीय षष्ठ नवम और द्वादश भाव का नाम आपोक्लिम है।
-भाव-केन्द्रादिसंज्ञा ज्ञापक सारणी
भाव →
२
संज्ञाएँ →
१-केन्द्र २- कंटक ३- चतुष्टय
पणफर
आपोक्लिम
१-केन्द्र २-कण्टक ३- चतुष्टय
आपोक्लिम
पणफर
१-केन्द्र २-कण्टक ३-चतुष्टय
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आपोक्लिम
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१-केन्द्र २-कण्टक ३-चतुष्टय
आपोक्लिम
ग्रहराशिस्थितिमान-(आ.सि.टी.)
मासं रविबुधशुक्राः सार्धं भौमः त्रयोदशाचार्यः ।
त्रिंशन्मंदोऽष्टादश राहुः चन्द्रः सपाददिवसयुगम् ॥ अर्थ - रवि, बुध और शुक्र किसी भी राशि पर सामान्यतः १ मास, मंगल १ - मास, गुरु १३ मास, शनि ३० मास, राहु १८ मास तथा चन्द्रमा सवा दो दिन तक रहते हैं। ग्रहों की उच्च नीच एवं मूलत्रिकोण राशियाँ अंशों सहित- (आ.सि.)
अर्काधुच्चान्यजवृषमृगकन्याकर्कमीनवणिजोंऽ शैः ।
१ - २-१० - ६-४- १२ - ७ दिग्दहनाष्टाविंशति तिथीषुनक्षत्रविंशतिभिः ॥ १०-३ - २८ - १५-५-२७ - २० स्वोच्चतः सप्तमं नीचं त्रिकोणान्यथ भानुतः । सिंहोक्षमेषप्रमदा धनुर्धटघटाः क्रमात् ॥
कन्या राहुगृहं प्रोक्तम् राहूच्चं मिथुनः स्मृतः ।
राहुनीचं धनुर्वर्णादिकं शनिवदस्य च ॥ अर्थ - सूर्यादिग्रहो की उच्च राशियाँ क्रमश: मेष, वृष, मकर, कन्या, कर्क, मीन और तुला क्रमश: १०, ३, २८, १५, ५, २७ और २० अंशों वाली हैं। अपनी उच्च राशि से सातवीं राशि नीच स्थानीय है तथा सूर्यादिकों की मूल त्रिकोण राशियाँ क्रमशः ५, २, १, ६, ९, ७ और ११ हैं। राहु कन्या राशि का स्वामी है इसकी उच्च राशि मिथुन तथा नीच राशि धनु है तथा इसका वर्णादि शनि के ही समान हैं।
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