________________
[३४१
मुहूर्तराज ]
साधक अक्षर - भे, भै।
4.
साध्यजिन
|
तारा
योनि
विंशोपक
गण
राशि
| नाडी
4 |
नकुल
धन
।
साध्यनाम
स्वकीय विरुद्ध
लभ्य
मनुष्य राक्षस
अन्त्य अन्त्यवेध
|
५, ७, ९
सर्प
| वृषभ
|एकपाद
मध्यम
अशुभ अशुभ
44 4 4 4
मध्यम सम अशुभ शुभ अशुभ ।
वेध
श्रेष्ठ
अशुभ अशुभ
भवेध
अशुभ | शुभ मध्यम
3
अशुभ
2
मध्यम
|अशुभ | वेध
१ श्री ऋषभदेवजी
श्री अजितनाथजी श्री सम्भवनाथजी श्री अभिनन्दनजी | श्री सुमतिनाथजी
श्री पद्मप्रभुजी |श्री सुपार्श्वनाथजी श्री चन्द्रप्रभजी श्री सुविधिनाथजी
श्री शीतलनाथजी ११ श्री श्रेयांसनाथजी
श्री वासुपूज्यजी श्री विमलनाथजी
श्री अनन्तनाथजी १५ श्री धर्मनाथजी १६ श्री शान्तिनाथजी
श्री कुंथुनाथजी श्री अरनाथजी श्री मल्लिनाथजी |श्री मुनिसुव्रतजी
|श्री नमिनाथजी २२ श्री नेमिनाथजी २३ श्री पार्श्वनाथजी २४ श्री महावीरस्वामीजी
अशुभ
|शुभ
स्व
श्रेष्ठतर श्रेष्ठतर वेध
अशुभ
मध्यम
मध्यम
प्रीति
मध्यम
शुभ
कुवैर
अशुभ |शत्रु |भवेध मध्यम श्रेष्ठतर | वेध
अशुभ
मध्यम
शुभ
अशुभ अशुभ
मध्यम | अशुभ मध्यम शुभ अशुभ
श्रेष्ठ अशुभ | शुभ
श्रेष्ठ
34 3
राशि
पति
वश्य
एकनाथ मीन
वर्ण क्षत्रिय
नक्षत्र उ.षा.
युजि पश्चिम
धन
सभी राशियाँ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org