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[३४७
मुहूर्तराज ]
साधक अक्षर - ऋ, र, रा, रि, री (ऋ वेधे चिन्त्यम्)।
साध्यजिन
तारा
योनि
विंशोपक
गण
| राशि | नाडी
वानर
Hllerallt
स्वकीय विरुद्ध
राक्षस तुला देव मनु. मीन
मध्य मध्यवेध
७, ९, २
मेष
अशुभ अशुभ
प्रीति
शुभ
|भवेध
अशुभ
शुभ श्रेष्ठ
। | अशुभ
| मैत्री
कुवर
अशुभ | वेध
|शभ
अशुभ
वेध
अशुभ वैर
| शुभ
श्रेष्ठतर
|शुभ
|श्री ऋषभदेवजी श्री अजितनाथजी श्री सम्भवनाथजी |श्री अभिनन्दनजी
श्री सुमतिनाथजी | श्री पद्मप्रभुजी |श्री सुपार्श्वनाथजी श्री चन्द्रप्रभजी श्री सुविधिनाथजी श्री शीतलनाथजी श्री श्रेयांसनाथजी श्री वासुपूज्यजी श्री विमलनाथजी श्री अनन्तनाथजी श्री धर्मनाथजी श्री शान्तिनाथजी श्री कुंथुनाथजी श्री अरनाथजी |श्री मल्लिनाथजी | श्री मुनिसुव्रतजी श्री नमिनाथजी श्री नेमिनाथजी श्री पार्श्वनाथजी श्री महावीरस्वामीजी
वैर
अशुभ
अशुभ
सम
प्रीति
अशुभ
शत्रु
सम
श्रेष्ठतर
सम
एकम
अशुभ
स्व
अशुभ
वर्ण
वश्य
राशि तुला
पति शुक्र
एकनाथ वृष
नक्षत्र युजि चित्रा मध्य
बिना सिंह व मनुष्य
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