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जीर्ण (अन्य से निर्मितगृह) एवं जीर्णोद्धत गृह प्रवेश में अयनादि बोध सारणी २
अन्वय
अयनादि शीर्षक
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अयन
मास
पक्ष
तिथि
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वार
नक्षत्र
योग
लग्न
प्रवेशकर्ता के जन्म लग्न एवं राशि से प्रवेश लग्न सूर्यादि ग्रहस्थिति
वास्तुपूजा
वामार्क
अथ प्रतिष्ठा समय विचार - (मत्स्य पुराण में )
कलशचक्र
प्रवेशविधि
अयनादि विवरण
इस प्रकार विस्तारपूर्वक यहाँ त्रिविध गृह प्रवेश के विषय में बतलाया गया। यद्यपि गृहप्रवेशार्थ जो शास्त्रसम्मत शुभपदार्थ ग्राह्य हैं एवं अशुभ वर्ज्य हैं इन्हीं सभी का विचार देवप्रतिष्ठा में भी किया जाता है तथापि प्रतिष्ठा के सम्बन्ध में कुछ अन्यान्यग्रन्थोक्त वस्तुएँ यहाँ विस्तरशः दर्शायी जायेंगी ।
उत्तरायण एवं दक्षिणायन
वैशाख, ज्येष्ठ, माघ, फाल्गुन, श्रावण, कार्तिक एवं मार्गशीर्ष
नूतन गृहप्रवेश सारणी अनुसार
नूतन गृहप्रवेश सारणी अनुसार
नूतन गृहप्रवेश सारणी अनुसार
नूतन गृहप्रवेश सारणी अनुसार एवं शत पुष्य, स्वाती धनिष्ठा भी
नूतन गृहप्रवेश सारणी अनुसार
नूतन गृहप्रवेश सारणी अनुसार
नूतन गृहप्रवेश सारणी अनुसार
नूतन गृहप्रवेश सारणी अनुसार नूतन गृहप्रवेश सारणी अनुसार
नूतन गृहप्रवेश सारणी अनुसार
नूतन गृहप्रवेश सारणी अनुसार
नूतन गृहप्रवेश सारणी अनुसार
[ मुहूर्तराज
चैत्रे वा फाल्गुने वापि ज्येष्ठे वा माधवेऽपि वा । माघे वा सर्वदेवानां प्रतिष्ठा शुभदा भवेत् ॥
चैत्रे, फाल्गुने, ज्येष्ठे माधवे ( वैशाखे ) माघे वा सर्वदेवानां प्रतिष्ठा शुभदा ( शुभकरी) भवेत् ।
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