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३२६ ]
[ मुहूर्तराज
साधक अक्षर - द, दा
साध्यजिन
तारा
योनि
वर्ग
विंशोपक
गण
||
राशि | नाडी
सिंह
साध्यनाम
स्वकीय विरुद्ध
लभ्य
९,२,४
मनुष्य राक्षस
आद्य आद्यवेध
हस्त
कक
अशुभ
श्रेष्ठतर
4
मध्यम मध्यम मध्यम मध्यम | वेध अशुभ अशुभ प्रीति अशुभ मध्यम श्रेष्ठ
तुम
शुभ
अशुभ
| शभ
वेध
अशुभ
ज 4 4
शुभ
अशुभ
मध्यम
|श्रेष्ठ
श्री ऋषभदेवजी श्री अजितनाथजी श्री सम्भवनाथजी श्री अभिनन्दनजी श्री सुमतिनाथजी श्री पद्मप्रभुजी श्री सुपार्श्वनाथजी श्री चन्द्रप्रभजी श्री सुविधिनाथजी श्री शीतलनाथजी श्री श्रेयांसनाथजी श्री वासुपूज्यजी श्री विमलनाथजी | श्री अनन्तनाथजी श्री धर्मनाथजी श्री शान्तिनाथजी |श्री कुंथुनाथजी | श्री अरनाथजी
श्री मल्लिनाथजी | श्री मुनिसुव्रतजी श्री नमिनाथजी श्री नेमिनाथजी श्री पार्श्वनाथजी | श्री महावीरस्वामीजी
अशुभ
|स्व
वेध
स्व
अशुभ
अशुभ
|
वैर
| कुवैर
।
मध्यम
अशुभ
मध्यम
मध्यम
| शभ
वेध
अशुभ
श्रेष्ठतर
अशुभ
| वैर
| कुवैर | २
मध्यम
अशुभ
मध्यम
4
वेध
अशुभ
मध्यम
|शुभ
वेध
मध्यम अशुभ अशुभ
प्रीति
शुभ
| प्रीति
वेध
राशि
एकनाथ
वर्ण
वश्य बिना सिंह व मनुष्य के
नक्षत्र पू.भा.
युजि पश्चिम
कुंभ
शनि
मकर
शूद्र
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