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[२३५
मुहूर्तराज ]
- नूतन गृहप्रवेश एवं सुपूर्वगृहप्रवेश में ग्राह्य अयनादि बोधसारणी सं. १ -
स
अयनादि शीर्षक नाम
अयनादिविवरण
अयन मास (चान्द्रमास) पक्ष
उत्तरायण वैशाख, ज्येष्ठ माघ एवं फाल्गुन शुक्लपक्ष पूर्ण, कृष्णपक्ष दशमी पर्यन्त
तिथि
तिथि
पूर्वद्वारगृह
दक्षिणद्वारगृह पश्चिमद्वारगृह पूर्णा (५,१०,१५) नन्दा (१,६,११) भद्रा (२,७,१२) चन्द्र, बुध, गुरु, शुक्र, शनि- कुछेक मत से शनि मध्यम फलद
जया (३,८,१३)
वार
वार
नक्षत्र
नक्षत्र
पूर्वद्वारगृह
दक्षिणद्वारगृह पश्चिमद्वारगृह उत्तरद्वारगृह (मृग रोहिणी) (उ.फा.चित्रा) (उ.षा.अनु.) (उ.भा. रेवती) विष्कुंभादि २७ योगों में से शुभ योगों में एवं अशुभयोगों की त्याज्या घटियों छोड़कर योगों में
७. | योग
८ लग्न
मिथुन, कन्या, धन, मीन एवं शुभग्रहीय स्थिरलग्न तथा शुभ नवांश चर लग्नों में भी
शुभग्रहीय नवांशक जिस पर सौभ्यग्रहों की दृष्टि हो अथवा सौम्यग्रहों की युति हो। प्रवेशकर्ता की जन्मराशि | प्रवेशकर्ता की जन्म राशि से १, ३, ६, १० एवं ११ वाँ प्रवेशलग्न तथा स्थिरसंज्ञक एवं जन्मलग्न से लग्न | राशि लग्नगत हो अथवा द्विस्वभावराशि प्रवेश लग्न गत हों।
क्रमांक १० | सूर्यादिग्रहस्थिति
स. चं. मं. | बु. गु. शु. श. | रा... तीसरे ३ १,४,७,
१,४,७, | १,४,७ | ३ छठे ६ १०,९,५, ६ १०,९, | १०,९, | १०,९ ग्यारहवें ११ । ३.११ ।
५,३,११, ५,३,११ | ५,३,११ ११ मृगशिरा रेवती, चित्रा, अनुराधा, उ.फा. उ.षा. उ.भा. रोहिणी, हस्त, अश्विनी, वास्तु पूजा नक्षत्र
पुष्य, अभि. स्वाती, पुन श्रवण, धनिष्ठा, शत, एवं मूल नक्षत्रों में से किसी एक में।
११
वामार्क ज्ञान प्रवेशलग्न कुण्डली में सूर्य स्थिति से
पूर्वमुखगृह
दक्षिणमुखगृह पश्चिममुखगृह उत्तरमुखगृह ८, ९, १० ५, ६, ७ २, ३, ४ ११, १२, लग्न | ११, १२,
८, ९ सूर्यनक्षत्र से
६-१३
१४-२९ । २२-२७
श्रेष्ठ पूज्यों विप्रों एवं जलपूर्ण कलश को आगे करके तोरण पुष्पमालादि से विभूषित मांगलिक गीत गाती हुई सौभाग्यवती स्त्रियों के साथ प्रवेशकर्ता नूतनगृह प्रवेश करें।
कलश चक्र
श्रेष्ठ
१४ प्रवेशविधि
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