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मुहूर्तराज ]
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इस भांति इष्टघटीपल के आधार पर सिद्धग्रहों, लग्न एवं षड़वर्ग के अनुसार लग्नकुण्डली, होराकुण्डली, द्रेष्काणकुण्डली, सप्तमांशकुण्डली, नवमांशकुण्डली, द्वादशांशकुण्डली एवं त्रिशांश कुण्डलियाँ बनेंगी तथा उनमें ग्रहों की स्थिति ज्ञात होगी। इस परिशिष्ट में प्रदत्त उदाहरणानुरूप कुण्डलियों एवं उनमें स्थित ग्रहों को देखिए -
___॥ अथ लग्न कुण्डली॥
६श.
बु. ४ सू. रा. ३ शु.
के. ९ चं.
॥ अथ होराकुण्डली ॥ । ॥ अथ द्रेष्काणकुण्डली ।। । ॥ अथ सप्तमांश कुण्डली ।।
4 रा.शु./
श
बु.
सम./
ग
४/
३
XE
| श.
X
३ बु.
सू.
/
गु. मं.
१०चं.
॥ अथ नवमांशकुण्डली ॥
॥ अथ द्वादशकुण्डली ॥ | ॥ अथ त्रिशांश कुण्डली ।।
GAN
XIT.
X १२ सू.
१०बु.
Kरा.
/म.सू.
१०बु.
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