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मुहूर्तराज ]
[२७१ चन्द्रस्पष्टीकरण विधि
इष्ट दिन की नक्षत्र घटीपलें यदि इष्ट घटीपलों से न्यून हो तो इष्टदिन के कोष्ठक में लिखित नक्षत्र गत हुआ और उसके बाद आनेवाला नक्षत्र वर्तमान नक्षत्र हुआ और यदि इष्ट घटीपलों से नक्षत्र घटीपलें अधिक हों तो पूर्व नक्षत्र अर्थात् इष्टदिन के पहले के दिन का नक्षत्र गत एवं इष्टदिन प्रारब्ध नक्षत्र वर्तमान हुआ।
गत नक्षत्र की घटीपलों को ६०।० में से घटाकर शेष घटीपलों को दो स्थान पर लिखकर एक में इष्टघटीपलों और दूसरे में वर्तमान नक्षत्र घटीपलों को जोड़ने पर क्रमशः भयात = इष्टघटीपलों तक विगत नक्षत्रांश होता है और अन्य भभोग अर्थात् पूर्ण नक्षत्र का मान घटीपलात्मक होता है। फिर भयाद के घटीपलों
को ६० गुणित करके पलात्मक बनाकर उसे ८०० से गुणा किया जाता है क्योंकि पूर्ण नक्षत्र का भोगकाल मध्यमान १३ अं. २० कलाएं हैं जो कि कलात्मकरूपेण ८०० हैं (यथा १३ X ६० = ७८० + २० = ८००) ततः भभोग की भी पलें बनाकर ऊपर आगत संख्या में भाग लगाना चाहिए। शेष संख्या को ६० से गुणा करके पुनः पलात्मक भभोग का भाग देना चाहिये तदनन्तर यदि शेष रहें और रहते भी हैं उनका त्याग कर देना चाहिए इस प्रकार यह चन्द्रफल आया, ततः घटी में ६० का भाग देकर अंश भी बना लेने चाहिए। फिर जो नक्षत्र गत हुआ है वहाँ तक अश्विनी से गणना करके आगत नक्षत्र संख्या के ४ गुणाकर चरण संख्या बना लेनी चाहिए, ततः उस चरण संख्या में ९ का भाग लगाना चाहिए, क्योंकि ९ चरणों की एक राशि बनती है। ९ का चरण संख्या में भाग देकर शेषांकों को ३० से गुणा कर फिर ९ का भाग लगाना चाहिए और बाद में यदि शेषांक रह जाए तो उसे ६० का गुणा करके पुनः ९ से विभाजित कर लेने पर शेष शून्य ही रहेगा। इस प्रकार आगत रा.अं.क. और विकला में चन्द्रफल जो अंशकलाविकलात्मक आया है उसे जोड़ने पर चन्द्र स्पष्ट हो जाएगा। चन्द्रगति ज्ञानोपाय
चन्द्रस्पष्टीकरण करते समय जो भभोग का पलात्मक रूप है उससे एक नक्षत्र के भभोग के मध्यमान की २८८०००० विकलाओं में भाग देना चाहिए शेषांकों को ६० से गुणा कर पुनः पलात्मक भभोग का भाग देकर शेषांकों को त्याग देना चाहिए इस प्रकार घटीपलात्मक चन्द्र की गति भी उपलब्ध हो जायगी।
चन्द्रकलानयन एवं तद्गतिसाधन को उदाहरण रूप में देखने से पूर्णतया स्टीकरण हो जायगा। चन्द्रसाधन प्रक्रिया
इष्ट घटी ११ पल ४० श्रावण शुक्ला द्वादशी रविवार को मूल नक्षत्र ५६ घ. १४ प. है। चूंकि इसकी घटी पलें इष्ट की घटीपलों से अधिक हैं अतः ज्येष्ठा नक्षत्र गत हुआ और मूल नक्षत्र वर्तमान। विधिदर्शित क्रियानुसार ज्येष्ठा की घटीपलों ४८।३८ को ६०० में से घटाने पर ११ घ. २२ प. शेष रहीं अतः -
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