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मुहूर्तराज ]
[१४९ क्षुत (छींक) फल दिशा एवं प्रहर भेद से- (सर्वशाकुन में) ___ सर्वशाकुन ग्रन्थ में छिक्का के दिशा एवं प्रहर भेद से शुभाशुभ फलों का निर्देश किया गया है
यथा
अथ क्षुते फलं वक्ष्ये दिक्षु यामक्रमेण च । लाभो वाह्निर्धनं मित्रं चतुःस्थानेषु पूर्वतः ॥ लाभो वह्निः सुतो वह्निः क्रमादाग्नेयतो भवेत् । यामक्रमाइक्षिणस्यां धनमन्नभृतिः कलिः ॥ लाभो मित्रं सुखं वार्ता लाभो नैर्ऋत्य देशतः । गमनोत्साह कलह वस्त्राप्तिः पश्चिमादिशि ॥ वायव्यायां जयो लाभ पुत्राप्तिःमङ्गलं क्रमान् । शत्रुनाशो, रिपुप्राप्ति; लाभोनं चोत्तरे क्षुतम् ॥ सङ्गाम नाशरुग् बुद्धिरीशयाम क्रमेण च । क्षुते
गतघटीवारतिथियुगसुमिर्हता । विषमा लाभादा नित्यं समा विघ्नमृतिप्रदा ॥
औषधे, वाहनारोहे, विवाहे, शयनेऽशने । विद्यारंभे बीजवाये क्षुतं सप्तसु शोभनम् ॥
क्षुत (छींक) फल जानने निमित्त नीचे एक सारणी दी जा रही है, जिससे सचक् क्षुतफल दिशा एवं याम भेद से जाना जा सकेगा।
दिशा-यामक्रम से क्षुतफल ज्ञापक सारणी
प्रथम प्रहर
द्वितीय प्रहर
क्र.सं.
दशाएँ । प्रहर →
तृतीय प्रहर
फल
चतुर्थ प्रहर
फल
फल
फल
लाभ
अग्निमय
मित्र प्राप्ति अग्निमय
लाभ
अग्निमय
आग्नेय दक्षिण नैर्ऋत्य
धन लाभ पुत्र प्राप्ति
मरण सुखवार्ता
धन लाभ
कलह
अन्न लाभ मित्र प्राप्ति
लाभ
लाभ
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पश्चिम
गमन
उत्साह
कलह
वस्त्र लाभ
वायव्य
जय
लाभ
पुत्राप्ति लाभ
उत्तर
शत्रुनाश
शत्रुभय
मंगल
हानि बुद्धि लाभ
ईशान
नाश
रोगाप्ति
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