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मुहूर्तराज ] शिवचार के स्पष्टतया ज्ञानार्थ निम्नाकिंत सारणी देखिए
-सूर्यसंक्रान्तिपरत्व दिग् विदिक् स्थित शिवचार बोधार्थ सारणीसूर्यसंक्रान्ति
1 दिशा विदिशा में शिव स्थिति घटीमान ।
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एवं
समय
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पश्चि.
रात्रि
दिन
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दिग्वि. घ. दि.वि. | घ. | दि.वि. दि.वि. | | दि.वि. | घ. | दि.वि. घ. | दि. विघ. | दि.वि घ. पूर्व | २॥ आग्नेय ५ दक्षि. २॥
|२॥ वाय. २॥ आग्नेय ५
दक्षि. २॥ द
|२॥ वाय. आग्नेय ५
५ | पश्चि . २॥ आग्नेय ५ दक्षि.
|५ | पश्चि. २॥ आग्नेय ५ दक्षि . |
|५ | पश्चि . आग्नेय ५ दक्षि. |२॥ | ५ पश्चि .
आग्नेय ५ | २॥ ईशान
आग्नेय ५ उत्तर
आग्नेय ५ उत्तर २॥ ईशान
२॥ आग्नेय ५ उत्तर २॥ ईशान
२॥ आग्नेय ५ |५ उत्तर २॥ ईशान
|२॥ आग्नेय ५ दक्षि | २॥ वाय.
ईशान ५ | पूर्व । पश्चि. २॥ वाय.
ईशान ५ | पूर्व २॥ |५ पश्चि
२॥ वाय. उत्तर २॥ईशान ५ [५ पश्चि २॥ वाय.
२॥ ईशान २॥ वाय.
२॥ ईशान |२॥ वाय.
२॥ ईशान ५ पश्चि.
उत्तर २॥ ईशान| दक्षि.| २॥
वाय.
२॥ ईशान |५ | दक्षि.
पश्चि . |२॥ वाय.
पश्चि. |२॥ वाय. दक्षि.
पश्चि. |२॥ वाय.
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उपर्युक्त सारणी से शिव की दिग्विदिक् स्थिति का घटीमान ज्ञात किया जा सकता है। अब नीचे एक और सारणी दी जा रही है जिसमें संक्रान्त्यनुसार दिग्विदिक् में स्थित शिव के रहते सिद्धिदायक गन्तव्य दिशा विदिशाओं का एवं दिवस रात्रि के घंटों का ज्ञान हो सकेगा।
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