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________________ [२०३ मुहूर्तराज ] शिवचार के स्पष्टतया ज्ञानार्थ निम्नाकिंत सारणी देखिए -सूर्यसंक्रान्तिपरत्व दिग् विदिक् स्थित शिवचार बोधार्थ सारणीसूर्यसंक्रान्ति 1 दिशा विदिशा में शिव स्थिति घटीमान । & एवं समय मेष दिन पश्चि. रात्रि दिन |_ ___MM 31 MM | वृष रा. दि * د पशि इशाम पूर्व 1 1 कर्क * रा. * दि. २॥ ईश * पूर्व ک د د د ده م ده ست ده ، د ک دهه पू ک दिग्वि. घ. दि.वि. | घ. | दि.वि. दि.वि. | | दि.वि. | घ. | दि.वि. घ. | दि. विघ. | दि.वि घ. पूर्व | २॥ आग्नेय ५ दक्षि. २॥ |२॥ वाय. २॥ आग्नेय ५ दक्षि. २॥ द |२॥ वाय. आग्नेय ५ ५ | पश्चि . २॥ आग्नेय ५ दक्षि. |५ | पश्चि. २॥ आग्नेय ५ दक्षि . | |५ | पश्चि . आग्नेय ५ दक्षि. |२॥ | ५ पश्चि . आग्नेय ५ | २॥ ईशान आग्नेय ५ उत्तर आग्नेय ५ उत्तर २॥ ईशान २॥ आग्नेय ५ उत्तर २॥ ईशान २॥ आग्नेय ५ |५ उत्तर २॥ ईशान |२॥ आग्नेय ५ दक्षि | २॥ वाय. ईशान ५ | पूर्व । पश्चि. २॥ वाय. ईशान ५ | पूर्व २॥ |५ पश्चि २॥ वाय. उत्तर २॥ईशान ५ [५ पश्चि २॥ वाय. २॥ ईशान २॥ वाय. २॥ ईशान |२॥ वाय. २॥ ईशान ५ पश्चि. उत्तर २॥ ईशान| दक्षि.| २॥ वाय. २॥ ईशान |५ | दक्षि. पश्चि . |२॥ वाय. पश्चि. |२॥ वाय. दक्षि. पश्चि. |२॥ वाय. 1 E F = # # # #FF FFFFFFFF33333333333 長長長层层层层,层愛愛愛愛卷卷爱爱爱爱55 ggg # # #F "P +i hi ai ک दि. उत्तर तुला रा. उत्तर दि. ک 2 2 24 वृश्चि . रा. ک पश्चि ک ک न . "Pa ya " 1 1 IMM 1111 EEEER * पश्चि. वाय. ک कुम्भ د د د د दक्षि. दक्षि. ک ک मीन ک रा. । . उपर्युक्त सारणी से शिव की दिग्विदिक् स्थिति का घटीमान ज्ञात किया जा सकता है। अब नीचे एक और सारणी दी जा रही है जिसमें संक्रान्त्यनुसार दिग्विदिक् में स्थित शिव के रहते सिद्धिदायक गन्तव्य दिशा विदिशाओं का एवं दिवस रात्रि के घंटों का ज्ञान हो सकेगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001933
Book TitleMuhurtraj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay Khudala
Publication Year1996
Total Pages522
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Jyotish, L000, & L025
File Size11 MB
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