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[ मुहूर्तराज __अर्थ - पथिराहुचक्र बनाने के लिए पाँच सीधी तथा नौ आड़ी रेखाएँ खींचनी चाहिए इस प्रकार रेखाओं से यह चक्र ३२ कोष्ठकों का होगा। फिर ऊपर के चार कोष्ठकों में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष ये नाम लिखने चाहिए तथा उनके नीचे के आठ-आठ कोष्ठकों में से प्रथम के (धर्म मार्ग के) आठ कोष्ठकों में-अश्विनी, पुष्य, आश्लेषा, धनिष्ठा, शततारका, विशाखा और अनुराधा, अर्थ मार्ग में (अर्थ कोष्ठकों में) भरणी, पूर्वाभाद्र, ज्येष्ठा, श्रवण, पुनर्वसु, मघा और स्वाति, काममार्ग में कृत्तिका, आर्द्रा, उ. भाद्रपदा, चित्रा, अभिजित्, मूल और पूर्वा फा. तथा अन्तिम के मोक्षमार्ग के कोष्ठकों में रोहिणी, उत्तरा फा., पूर्वाषाढ़ा, मृगशिरा, उत्तराषाढ़ा, रेवती और हस्त इन नक्षत्रों को लिखना चाहिए।
-पथिराहु चक्र
मार्ग →
धर्म ..
अर्थ
काम
मोक्ष
नक्षत्र ।
अश्विनी
भरणी
कृत्तिका
रोहिणी
पुष्य
पूर्वाभाद्रपदा
आर्द्रा
उत्तरा फा.
आश्लेषा
ज्येष्ठा
उत्तरा भाद्र.
पूर्वाषाढ़ा
धनिष्ठा
श्रवण
चित्रा
मृगशिरा
शतभिषक्
पुनर्वसु
अभिजित्
उत्तराषाढ़ा
विशाखा
मघा
मूल
रेवती
अनुराधा
स्वाती
पूर्वा फाल्गुनी
हस्त
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