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मुहूर्तराज ]
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अर्थ - जन्म अथवा प्रश्न कुण्डली में जो जो भाव स्वस्वामि द्वारा देखा गया हो अथवा युक्त हो अथवा सौम्यग्रहों से युक्त हो उस-२ भाव की वृद्धि होती है। तथा जो २ भाव पापग्रहों से युक्त या दृष्ट हो उस २ भाव की हानि होती है। लग्नशुद्धि (समस्त शुभ कृत्यों में) (मु.चि.म.प्र. ४४वाँ श्लोक)
व्ययाष्टशुद्धोपचये लग्नगे शुभदृग्युते ।
चन्द्रे त्रिषड्दशायस्थे सर्वारम्भः प्रसिद्ध्यति ॥ अन्वय - व्ययाष्टशुद्धोपचये लग्नगे शुभदृग्युते, चन्द्रे त्रिषड्दशमायस्थे (सति) सर्वारम्भः प्रसिद्ध्यति।
अर्थ - अपनी जन्मराशि अथवा जन्म लग्न से ३, ६, १० और ११ वीं राशि लग्न में हो, बारहवाँ औरै आठवौँ स्थानै शुद्धै हो, अर्थात् वहाँ कोई भी पापग्रह नहीं हो तथा चन्द्रमा ३, ६, १० और ११ वें स्थान में हो तो ऐसे समय में किये गये समस्त शुभ कार्य अवश्यमेव सिद्ध होते हैं। सर्वथा लग्नभंगकर्ता ग्रह- (मु.चि.वि.प्र. श्लोक ८६ वाँ)
व्यये शनिः खेऽवनिजस्तृतीये भृगुस्तनौ चन्द्रखलाः न शस्ताः ।
लग्नेट् कविग्लौश्च रिपो मृतौ ग्लौर्लग्नेट् शुभाराश्च मदे च सर्वे ॥ अन्वय - व्यये शनिः, खे (दशमस्थाने) अवनिज: (भौम:) तृतीये भृगुः तनौ (लग्ने) चन्द्रखला: (चन्द्रमाः पापग्रहाश्च) शता: न (भवन्ति) लग्नेट (लग्नपतिः) कविः (शुक्रः) ग्लौः (चन्द्रः) च रिपौ (षष्ठभावे) (न शस्त:) तथा मृतौ (अष्टम स्थाने) ग्लौः लग्नेट् शुभारा: च (चन्द्रलग्नेशचन्द्रबुधगुरुशुक्र भौमा:) न शस्ता: मदे (सप्तमे) सर्वे न शस्ताः।
अर्थ - लग्नकुण्डली में बारहवें स्थान में शनि, दशमस्थान में मंगल, तृतीय स्थान में शुक्र, लग्न में चन्द्र तथा पापग्रह, षष्ठस्थान में लग्नपति, शुक्र और चन्द्र तथा अष्टम स्थान में चन्द्र, लग्नस्वामी, शुभग्रह (चन्द्र, बुध, गुरु और शुक्र) तथा मंगल और सप्तमस्थान में सभी ग्रह अशुभफलद होते हैं। लग्न में रेखा देने वाले ग्रह – (मु.चि.म.वि.प्र. श्लोक ८७ वाँ)
त्र्यायाष्टषट्सु रविकेतुतमोऽर्कपुत्रास्न्यायारिगः क्षितिसुतो द्विगुणायगोऽब्जः । सप्तव्ययाष्टरहितौ ज्ञगुरु सितोऽष्ट
त्रिधुनषड्व्ययगृहान् परित्य शस्तः ॥ अन्वय - रविकेतुतमोऽर्कपुत्रा: त्र्यायाष्टषट्सु क्षितिसुतः व्यायारिगः अब्जः द्विगुणायगः, ज्ञगुरु सप्तव्ययाष्टरहितौ, सित: अष्टविद्यूनषडव्ययगृहान् परित्य शस्तः।
अर्थ - सूर्य केतु राहु और शनि ३, ११, ८ और ६ स्थान में स्थित, मंगल ३, ११ और ६ स्थान में स्थित, चन्द्रमा दूसरे तीसरे और ग्यारहवें स्थान में स्थित बुध, गुरु सातवें बारहवें और आठवें स्थान से
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