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[ मुहूर्तराज अर्थ - जिस पुरुष के जन्म समय में अत्यन्त ही नीच राशि तथा अंशों पर सूर्य (तुला राशि के १० अंशों पर) चन्द्र (वृश्चिक राशि के ३ अंशों पर) हों तो ये दोनों ग्रह उस जातक को अन्ध, नंगा, मूर्ख, पराये के अन्न पर जीने वाला करते हैं। ग्रहों के वर्ण
रक्तश्यामो भास्करो गौर इन्दुः , नात्युच्चाङ्गो रक्तगौरश्च वक्रः । दूर्वाश्यामो ज्ञो गुरुगौरगात्रौs ,
श्यामः शुक्रः भास्करिः कृष्णदेहः ॥ सूर्य का वर्ण लाल सांवला, चन्द्रमा का गोरा, मंगल मध्यम कद वाला तथा उसका वर्ण लाल गोरा होता है। बुध का वर्ण दूर्वा के समान, गुरु गौरवर्ण, शुक्र शुक्ल वर्ण और शनि का वर्ण काला है। ग्रहों की स्थानों पर दृष्टियाँ - (मु.चि.वि.प्र. ७४ वें श्लोक की टीका) “वराह"
दशमतृतीये नवपञ्चमे चतुर्थाष्टमे कलत्रं च । पश्यन्ति पादवृद्ध्या फलानि चैवं प्रयच्छन्ति ॥ पूर्णं पश्यति रविजः, तृतीयदशमे त्रिकोणमपि जीवः ।
चतुरस्रं भूमिसुतः सितार्कबुधहिमकराः कलत्रं च ॥ अर्थ - प्रत्येक ग्रह अपने स्थितिस्थान से दसवें और तीसरे स्थान को एकपाददृष्टिसे नवें और पाँचवें स्थान को द्विपाददृष्टि से, चौथे और आठवें स्थान को त्रिपाददृष्टि से तथा सष्टम स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखता है।
शनि दशम और तृतीय स्थान को, गुरु नवम और पंचम स्थान को तथा मंगल चतुर्थ और अष्टम स्थान को भी पूर्ण दृष्टि से देखते हैं। तथा शुक्र, सूर्य, बुध और चन्द्रमा सष्टम स्थान को ही पूर्ण दृष्टि से देखते हैं। क्रूर और सौम्यग्रह
सूर्यभौमशनिराहुकेतवः, पापसंज्ञखचराः क्षयिचन्द्रः ।
पूर्णचन्द्रगुरुशुक्रसोमजाः सर्वकर्मसु हि सौम्यखेचराः ॥ अर्थ - सूर्य, मंगल, शनि, राहु, केतु और क्षीण चन्द्रमा ये पापग्रह कहलाते हैं तथा पूर्णचन्द्र, गुरु, शुक्र और बुध को सभी कार्यों में सौम्य ग्रह कहते हैं। भावबलाबलज्ञान - (आ.टी.)
यो यो भावः स्वामिदृष्टो युतो वा सौम्यैर्वास्यात् तस्य तस्यास्ति वृद्धिः । पापैरेवं तस्य तस्यास्ति हानिर्निदेष्टव्या पृच्छतां जन्मतो वा ॥
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