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मुहूर्तराज ]
___ [५३ तथाच
कुर्यात् षोडशकर्माणि जन्मराशौ बलान्विते ।
सर्वाण्यन्यानि कार्याणि नामराशौ बलान्विते ॥ ___अर्थ - षोडश (सोलह) संस्कारों में जन्मराशि बलयुक्त होनी चाहिये। किन्तु अन्य सभी कार्य नामराशि के बल से किये जा सकते हैं, ऐसा वसिष्ठ मुनि का मत है। बृहस्पति भी
व्यवहार राजसेवा संग्राम ग्राममैत्रेषु
"ज्ञातेऽपि जन्मराशौ फलमुक्त नामराशिवशात्" अर्थात् जन्मराशि ज्ञात होने पर भी नामराशिवश ही व्यवहार कर्म (लेन-देन) राजसेवा, युद्ध ग्रामकार्य (ग्राम में प्रवेश) निर्गम तथा अन्य गाँव के महत्त्वपूर्ण कार्य, मित्रता आदि में फल कहा जाना उत्तम है, ऐसा बृहस्पति का मत है। नामराशिग्रहण विचार- (आ.टी.)
ग्रामे नृपति सेवायाम् संग्रामव्यवहारयोः ।
चतुर्षु नामभं योज्यम्, शेषं जन्मनि योजयेत् ॥ __ अर्थ - ग्राम कार्य, राजसेवा, संग्राम और व्यवहार इन चारों कार्यों को करने में नामराशि का एवं अन्य कार्यों में जन्मराशि का महत्व है। बारहवाँ चन्द्र भी शुभ
आधाने सम्प्रदाने च विवाहे राजविग्रहे ।
तीर्थयात्राप्रमाणे च चन्द्रो द्वादशगः शुभः ॥ ___ अर्थ - आधान, दान, विवाह, राजविग्रह (राजा के साथ युद्ध करने में या अन्य किसी बड़े विवाद में) एवं तीर्थयात्रा में बारहवाँ चन्द्रमा शुभ होता है। जन्मचन्द्र विचार
जन्मस्थेन शशांकेन पंचकर्माणि वर्जयेत् ।
यात्रां युद्धं विवाहं च क्षौरं गेहप्रवेशनम् ॥ अन्वय - जन्मस्थेन शशांकेन (यदा चन्द्र राशित: प्रथम: तत्रापि जन्मनक्षत्रस्थ: यदि भवेत् तदा) यात्रां युद्धं विवाहं क्षौरं गेहप्रवेशनम् एतानि पंचकर्माणि वर्जयेत्। यत -
क्षौरे रोगी, गृहे भंगो, यात्रायां निर्धनो भवेत् । विवाहे विधवा नारी, युद्धे च मरणं भवेत् ॥
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