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पं जुगलकिशोर मुख्तार "युगवीर" व्यक्तित्व एव कृतित्व में उत्पन्न नहीं हुआ। अतः विद्वानों को संरक्षण एवं सवर्धन मिलना चाहिए। जिससे विद्वान् समाज में फल फूल सकें।
इस संगोष्ठी के पूर्व परम पूज्य उपाध्याय ज्ञानसागर जी महाराज के पावन सान्निध्य मे पं महेन्द्रकुमार जी न्यायाचार्य वाराणसी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर सगोष्ठी का आयोजन अम्बिकापुर (म प्र ) में हुआ। पं जुगल किशोर जी मुख्तार के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से जैन समाज अवगत हो, इसलिए मुझे श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र देहरा तिजारा में मुख्तार साहब के ऊपर सगोष्ठी आयोजित करने की प्रेरणा एवं आशीर्वाद प्रदान किया। तदनुसार इस पावन क्षेत्र पर पूज्य उपाध्यायश्री ज्ञानसागरजी, पूज्य मुनि वैराग्य सागरजी के सान्निध्य मे यह अखिल भारतीय स्तर की विद्वत् संगोष्ठी सम्भव हो सकी। उपस्थित विद्वानों का विशेष आभारी हूँ जिन्होंने मेरे निवेदन पर विद्वत् सगोष्ठी को सफलता के शिखर तक पहुँचाया तथा मुख्तार साहब के अद्वितीय अवदान को रेखाचित्र प्रस्तुत किया।