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प जुगलकिशोर मुख्तार "युगवीर"व्यक्तित्व एव कृत्तित्व
तृतीय सत्र शाम सात बजे प्रारम्भ हुआ। मगलाचरण श्री विमलकुमार जी जैन, जयपुर ने किया। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. प्रकाशचन्द जी जैन, प्राचार्य, दिल्ली ने की। सत्र का संचालन डॉ. नरेन्द्रकुमार जैन श्रावस्ती ने किया। इन्होंने अपने संचालन में आलेख वाचक वरिष्ठ एवं गरिष्ठ विद्वानों को समय की सीमा में बाधे रखा और आलेख के प्रस्तुत करने मे विद्वानों को पूर्ण सहयोग प्रदान किया। डॉ. प्रेमचन्द रावका बीकानेर, डॉ. कस्तूरचन्द जी जैन 'सुमन' श्री महावीर जी, श्री विजयकुमार जी जैन महावीर जी, पं श्री विमलकुमार जी जैन जयपुर, डॉ राजेन्द्र बसल अमलाई, डॉ सुपार्श्वकुमार जी बड़ौत आदि विद्वानो ने पं. जुगलकिशोर मुख्तार जी के परिप्रेक्ष्य मे अपने आलेखों का प्रस्तुतीकरण किया।
चतुर्थ सत्र 31.10 98 को प्रात: आठ बजे प्रारम्भ हुआ। मंगलाचरण पं. ज्योतिबाबू जैन, जयपुर ने किया। अध्यक्षता जैन समाज के वरिष्ठ विद्वान् साहित्यकार कवि हृदय श्री निर्मलकुमार जी जैन, सतना ने की। सत्र का सचालन युवाविद्वान क्रान्ति के अग्रदूत सत्यान्वेषी डॉ. कपूरचन्द जी जैन खतौली ने किया। डॉ कमलेशकुमार जी जैन वाराणसी, डॉ भागचन्द जी भागेन्दु श्रवणबेलगोला, डॉ. रतनचन्द जी भोपाल ने अपने आलेखों द्वारा सत्र को बडी ऊँचाइयो तक पहुँचाया। सत्र की समाप्ति पूज्य उपाध्याय ज्ञानसागरजी महाराज के मगल प्रवचन एवं आशीर्वाद के साथ सम्पन्न हुई।
पंचम सत्र महिला सत्र के रूप में प्रारम्भ हुआ। मंगलाचरण श्रीमती कामिनी चैतन्य, जयपुर ने किया। अध्यक्षता अर्थशास्त्री डॉ. सुपार्श्वकुमार जी, बडौत ने की। सत्र का संचालन कमनीय पदावली में अपनी बात प्रस्तुत करने में विख्यात डॉ कमलेशकुमार जैन, वाराणसी ने किया। आलेख का वाचन डॉ. ज्योति जैन खतौली, श्रीमती कामिनी जैन जयपुर, डॉ. रमा जैन छतरपुर, श्रीमती माधुरी जैन जयपुर, व्याख्याता-श्रीमती सिधुलता जैन जयपुर ने किया। सत्र की समाप्ति पर पूज्य उपाध्याय ज्ञानसागरजी महाराज ने अपने मंगलमयी वाणी में विदुषी महिलाओं को आशीर्वाद प्रदान किया और कहा कि आप तो तीर्थंकर को जन्म देने वाली हैं, अपने संस्कारों से बच्चों का इस प्रकार संस्कारित करें कि वे इस जगत् के अन्धकार, अन्याय, अशान्ति एवं अशिक्षा से मुक्ति दिला सकें।