________________ पूंजी . 18 करोड़ करोड पूंजी को धनार्जन का प्रत्यक्ष साधन नहीं माना जाता है, परन्तु उसके बगैर धनार्जन की प्रक्रिया थम जाती है, इसलिए वह प्रमुख साधन के रूप में गिनी जाती है। पूंजी नहीं होने से व्यवसाय-निपुण परिश्रमी व्यक्ति भी धनार्जन में पिछड़ जाता है। व्यवसाय में पूंजी वह घटक है जिससे व्यवसाय की सम्पत्तियों में वृद्धि हो। भ. महावीर के दस श्रावकों की पूंजी व्यवसाय में पूंजी का नियोजन, पूंजी की वृद्धि आदि के प्रेरक सन्दर्भ आगम ग्रन्थों में प्राप्त होते हैं। भगवान श्री महावीर के प्रमुख दस श्रावकों के पास ' प्रभूत सम्पत्ति थी। उसका विवरण यहाँ इस प्रकार है - क्रम श्रावक पशु धन . सुवर्ण . आनन्द 40 हजार गौएँ 12 करोड़ कामदेव 60 हजार गौएँ चुलनीपिता 80 हजार गौएँ सुरादेव 60 हजार गौएँ चुल्लशतक 60 हजार गौएँ कुण्डकौलिक 60 हजार गौएँ 18 करोड़ सद्दालपुत्र 10 हजार गौएँ महाशतक 80 हजार गौएँ "24 करोड़ नन्दिनीपिता 40 हजार गौएँ . 12 करोड़ 10. सालिहीपिया 40 हजार गौएँ 12 करोड़ गौ के अन्तर्गत आर्थिक दृष्टि से उपयोगी सभी प्रकार के पशु (मवेशी) आ जाते हैं। महाशतक को छोड़ सभी श्रावकों ने निधि, व्यापार और घर - इन तीनों में बराबर-बराबर (1/3) सुवर्ण नियोजित कर रखा था। आनन्द के पास 500 शटक यात्रा के लिए और 500 माल ढोने के लिए थे। चार यात्री और मालवाहक जलयान थे तथा 500 हल प्रमाण भूमि थी। ___ आगम ग्रन्थों में धन-धान्य हिरण्य-सुवर्ण, द्विपद-चतुष्पद, खेत, कुप्य अदि को व्यक्ति की सम्पत्ति में परिगणित किया गया है। कौटिलीय अर्थशास्त्र करोड़ 18 करोड़ 03 करोड़ (58)