________________ और पाँच इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करने के लिए सजगता पूर्वक यत्नशील है, जीवन के हर क्षेत्र में सफलता उसके चरण चूमेगी। आचार्य हेमचन्द्र ने मार्गानुसारी के इन पैंतीस नियमों के अन्त में लिखा है कि 'गृहिधर्माय कल्पते' यानि जो इन गुणों को धारण करता है, वह सद्गृहस्थ की भूमिका पर प्रतिष्ठित होता है। मार्गानुसारी के अनेक नियमों का सम्बन्ध आर्थिक और व्यावसायिक जीवन से है। अर्थनीति में नीति की स्थापना और नीति का पालन व प्रचार मार्गानुसारी के नियमों के माध्यम से सम्भव है। (238)