________________ नुकसान पहुँचा दे, कुछ नहीं कहा जा सकता है। इस अनिश्चय में अहिंसा ही एक निश्चयात्मक और निश्चिन्तता प्रदान करने वाला निरापद रास्ता दिखाई पड़ता है। जैन आगम का अथवा अहिंसा का अर्थशास्त्र साधन और साध्य की शुचिता, अल्प-भोग, अल्प-परिग्रह, धन का विकेन्द्रीयकरण, प्रकृति व संस्कृति का संरक्षण, अशोषण जैसे स्थायी महत्व के मूल्यों पर बल देता है, जिनकी आज के विश्व को तीव्र आवश्यकता है। इसी विचार को केन्द्र में रखकर इस शोध-प्रबन्ध द्वारा जैन आगमों के आर्थिक मूल्यों को व्याख्यायित करने का प्रयास रहा है। (376)