Book Title: Jain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Author(s): Dilip Dhing
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 406
________________ साहित्यकार डॉ. दिलीप धींग साहित्य और समाज में कवि डॉ. दिलीप धींग एक सुपरिचित नाम है। महज बारह वर्ष की उम्र में कविता से लेखन की शुरुआत करने वाले डॉ. धींग ने विभिन्न विषयों और शैलियों में अब तक करीब डेढ़ हजार पद्यात्मक और सैकड़ों गद्यात्मक रचनाएँ लिखी हैं। जैन पत्र-पत्रिकाओं में सर्वाधिक प्रकाशित होने वाले युवा रचनाकार डॉ. धींग की अनेक कविताएँ और गीत लोगों को कण्ठस्थ हैं। मेवाड़ के कुछ जैन मन्दिरों में डॉ. धींग रचित राजस्थानी भाषा के पार्श्वनाथ जिन पूजन काव्य से नित्य पूजन किया जाता है। उनकी विविध वार्ताएँ, गीत, कविताएँ, परिचर्चाएँ आदि आकाशवाणी, उदयपुर से प्रसारित हुई हैं। वर्ष 2005-06 में अखिल भारतीय उत्तराध्ययन सूत्र एवं जैन तत्वज्ञान प्रतियोगिताओं का संयोजन करके उन्होंने घर-घर में आगम-स्वाध्याय की अलख जगाई। आचार्य देवेन्द्र मुनि के करीब दो सौ प्रवचनों की प्रेस-रिपोर्टिंग सहित हजारों खबरें उन्होंने अखबारों के लिए लिखी हैं। प्रासंगिक व प्रेरक विषयों पर करीब पाँच हजार पत्र विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और अखबारों के सम्पादकों के नाम लिखे और प्रकाशित हुए, जो रिकॉर्ड है। मंचों से प्रभावशाली काव्यपाठ करने वाले डॉ. धींग कुशल वक्ता हैं और सभाओं के संचालन में भी निपुण हैं। .. सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा जैनविद्या एवं प्राकृत की स्नातकोत्तर परीक्षा में स्वर्ण-पदक से सम्मानित डॉ. धींग ने 'जैन आगमों का अर्थशास्त्रीय मूल्यांकन' विषय पर विद्या-वाचस्पति (डॉक्टरेट) की उपाधि प्राप्त की। बरगद के बीज और 'मुक्तक-मुक्ता' उनकी कविताओं की प्रकाशित पुस्तकें हैं। समय से संवाद, मेरी कविताएँ, मेरे गीत, मेरे निबन्ध (नाम अनिर्णीत) आदि उनकी अप्रकाशित कृतियाँ हैं। डॉ. दिलीप धींग ने शाकाहार, व्यसनमुक्ति, संस्कार, सदाचार जैसे मुद्दों पर अनेक गोष्ठियों, संगोष्ठियों, सम्मेलनों, कार्यशालाओं, यात्राओं आदि का आयोजन-संयोजन किया तथा ऐसे स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय आयोजनों में सक्रिय सहभागिता निभाई है। धर्म, दर्शन और साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए अ.भा. श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ द्वारा अक्टूबर 2006 मे डॉ., धींग को (377)

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