Book Title: Jain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Author(s): Dilip Dhing
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 357
________________ 1. प्रपा (पबा, प्याऊ) : तालाब, कुआँ, बावड़ी आदि। जल व्यवस्था मानव और पशु-पक्षी, सबके लिए होती थी। 2. सत्रागार (निःशुल्क भोजनालय) : आतिथ्य और आहारदान। 3. मण्डप (आश्रयस्थान, धर्मशाला) : विश्राम स्थल, ग्राम सभा, आगमन गृह, . ____ वसति आदि। 4. आरोग्यशाला (औषधिदान) : चिकित्सालय, स्वास्थ्य केन्द्र आदि। 5. सार्थ (यातायात सुविधा, आजीविका दान) : व्यवसाय के लिए सामूहिक प्रयत्न / 6. ग्रन्थ भण्डार (ज्ञानदान, ज्ञानसुरक्षा) : पाठशाला, गुरुकुल, विद्यालय, उपाश्रय आदि / इन भण्डारों के माध्यम से लोग शिक्षा और आजीविका भी प्राप्त करते थे। आगम युग से लेकर आज तक जैन समुदाय का आर्थिक उन्नति और समाज कल्याण में उल्लेखनीय योगदान रहा है। राजतन्त्रीय शासन प्रणाली में भी भगवान महावीर के अनुयायी अनेक महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था को नित नये आयाम देते हुए उसे आगे बढ़ा रहे थे। अकबर जैसे मुगल सम्राटों के वित्तीय शासकीय सलाहकार भी जैन धर्मानुयायी थे। अकबर जैन सन्तों का बड़ा आदर करता था। आचार्य हीरविजय को वह गुरु-तुल्य मानता था। शतुंजय तीर्थ से उसने राज्य-कर हटा लिया था। वर्ष में कोई डेढ़-पौने दो सौ दिनों में सम्पूर्ण राज्य में जीव-हिंसा और पशुवध पर पूर्ण प्रतिबन्ध था। राज्य में मांसाहार, मद्यपान, जुआ जैसे व्यसनों के निषेध की राजाज्ञाएँ अकबर ने भी प्रसारित करवाई थीं। महाराणा प्रताप के परम सहयोगी मेवाड़-उद्धारक भामाशाह के बारे में बताया जा चुका है। वे अर्थ-प्रबन्धन और सैन्य-प्रबन्धन दोनों में कुशल थे। उनकी इस कुशलता पीछे आगमों में वर्णित आचार-दर्शन की भूमिका थी। सम्पूर्ण भारतीय इतिहास में शायद एक भी ऐसा उल्लेखनीय उदाहरण नहीं है जब किसी जैन नरेश, सेनापति या मन्त्री के कारण किसी विदेशी शत्रु का उसके राज्य पर अधिकार हुआ हो। ऐसा भी शायद ही कोई दृष्टान्त मिले जब किसी जैन सेनानी ने युद्ध में पीठ दिखाई हो। भारत के राज्यवंशों में से बहुभाग के अभ्युदय एवं उत्कर्ष में जैन अधिकारियों, सेठों व प्रजाजन का विशेष योगदान रहा। मध्य एवं मध्योत्तर काल में तो अनेक देशी राज्यों का अस्तित्व, विशेषकर राजस्थान में, उनके कुल-क्रमागत जैन मन्त्रियों, दीवानों, सेनानियों और सेठों (व्यवसायियों) के कारण ही बना रहा। अहिंसा और समता की अर्थ-व्यवस्था में उनकी ऐतिहासिक भूमिका है। . (328)

Loading...

Page Navigation
1 ... 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408