Book Title: Jain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Author(s): Dilip Dhing
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 370
________________ सर्वोद्रय सर्वोदय का अर्थ है - सबका उदय। जिससे/जिसमें सबका हित/कल्याण हो - मनुष्य का भी और मनुष्येत्तर प्राणियों का भी, वह सर्वोदय है। तीर्थंकर महावीर की अहिंसा सर्वोदय की जननी है। बापू ने कहा - जब कभी अहिंसा की प्रतिष्ठा होगी तो अवश्य अहिंसा के महान प्रवर्तक भगवान् महावीर की याद सबसे अधिक होगी और उनकी बताई अहिंसा का सबसे अधिक आदर होगा। सर्वोदय का सर्वप्रथम प्रयोग जैन साहित्य हुआ है। आचार्य समन्तभद्र ने भगवान महावीर की स्तुति 'युक्त्यनुशासन' में इसका प्रयोग किया - सर्वान्तवत्तद् गुण मुख्यकल्पं सर्वान्तशून्यं च मिथोऽनपेक्षम्। सर्वापदामन्तकरं निरन्तं सर्वोदयं तीर्थ मिदं तवैव॥ महात्मा गांधी ने रस्किन की 'अन्टू दि लास्ट' पुस्तक का अनुवाद किया और उसका नाम 'सर्वोदय' रखा। सर्वोदय के बारे में आत्मकथा में उन्होंने तीन बिन्दु दिये" - 1. सबकी भलाई में अपनी भलाई है। 2. वकील और नाई दोनों के काम की कीमत एक होनी चाहिये, क्यों कि आजीविका का अधिकार सबको समान है। 3. सादा मेहनत मजदूरी का, किसान का जीवन सच्चा जीवन है। अहिंसा सर्वोदय का मुख्य आधार है। गांधीजी के आर्थिक-सामाजिक विचारों पर भगवान महावीर के सिद्धान्तों का बहुत प्रभाव है। आज पूरी दुनिया में उनके विचारों की कद्र है। भगवान महावीर, महात्मा गांधी, मार्क्स और केनिज के व्यक्तित्व को आचार्य महाप्रज्ञ निम्न रूप में दर्शाते हैं18 - भगवान महावीर अहिंसक क्रान्ति के पुरोधा है, (जिसमें अपरिग्रह और अनेकान्त का समावेश है), गांधीजी अहिंसा समन्वित सर्वोदयी आर्थिक व्यवस्था के पुरोधा है, मार्क्स साम्यवादी आर्थिक क्रान्ति के पुरोधा है और केनिज पूंजीवादी आर्थिक क्रान्ति के पुरोधा है। कल्याणकारी अर्थशास्त्र ऐसा नहीं है कि अर्थशास्त्रियों ने मानव के विभिन्न प्रकार की गैर.. आर्थिक सन्तुष्टियों और हितों पर ध्यान नहीं दिया हो। वस्तुतः अर्थ तो साधन मात्र .. है, जो साध्य है, वह अर्थ नहीं है; परन्तु अर्थ में मापनीय है। इसलिए मार्शल का यह (341)

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