Book Title: Jain Agamo ka Arthashastriya Mulyankan
Author(s): Dilip Dhing
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 387
________________ को पूरा करने की विधियों और प्रविधियों का शास्त्र है। परन्तु उसकी अन्तहीन और गैर-वाजिब इच्छाओं ने अर्थशास्त्र को अनर्थकारी संहारक शस्त्र की भाँति बना दिया है। आगमिक जीवन शैली अर्थशास्त्र को शान्ति और समृद्धि का शास्त्र बनाती है। अहिंसा का अर्थशास्त्र नीतिशास्त्र के साथ संयोजित है। वह जीवन और जीवन की गुणवत्ता का समादर करता है। विश्व की स्थायी उन्नति और सुख-शान्ति के लिए अहिंसा के अर्थशास्त्र का कोई विकल्प नहीं है। भगवान महावीर के ये शब्द आज अधिक प्रासंगिक हो गये हैं - 'अत्थि सत्थं परेण परं, नत्थि असत्थं परेण परं।' अर्थात् शस्त्र (हिंसा) तो एक-से-एक बढ़कर हैं। परन्तु, अशस्त्र (अहिंसा) से बढ़कर कुछ नहीं है।' न्याय के लिए नैतिकता का नीर चाहिये। सत्य के लिए समता का समीर चाहिये। विश्व खड़ा है विनाश के कगार पर, अहिंसा के अवतार प्रभु महावीर चाहिये। (358)

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