________________ सन्दर्भ 1. उत्तराध्ययन सूत्र 23/75-76, सूत्रकृतांग में (1/6/6) कहा गया कि भगवान महावीर सूर्य की तरह अंधकार को प्रकाश में बदल देते थे - वइरोयणिंदे व तमं पगासे। 2. गुणचन्द्र, महावीर चरियं, पत्र 114, कल्पसूत्र 85 3. कल्पसूत्र 87-88 4. कल्पसूत्र 91 एवं विशेषावश्यक भाष्य 1838 5. देवेन्द्र मुनि, आचार्य, भगवान महावीर एक अनुशीलन, पृ.-266 6. वही, पृ.-266 7. अविसाहिए दुवे वासे सीतोदं अभोच्चा णिक्खन्ते - आचारांग 9/1/11. 8. महावीर चरियं 882, त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित्र 10/3/29-31 . 9. आयारो, 9/1/10 10. आवश्यक मलयगिरी वृत्ति / महावीर चरियं 5/158, त्रिषष्टिशलाका पुरुष 10/3/218 11. आवश्यक चूर्णि 317-319, महावीर चरियं 2/24/6 12. आचारांग 2, कल्पसूत्र 116 13. जैन, प्रेम सुमन (डॉ.) का लेख 'प्राकृत भाषा एवं साहित्य'। (306)